ड्रिल की नई ज्यामिति

09 May 2020 16:27:00
 
 
ड्रिलिंग इस यंत्रण प्रकार का उपयोग, यंत्रण उद्योग में सर्वाधिक किया जाता है। एक वाहन में प्रायः 5000 छिद्रसदृश आकार होते हैं। सारे छिद्र तो ड्रिलिंग द्वारा नही बनाए जा सकते,लेकिन इनमें से लगभग 40% छिद्र ड्रिलिंग से किए जाते हैं।
 
यंत्रण की विविध पद्धतियों में से, ड्रिलिंग का उपयोग ज्यादा तौर पर किया जाता है। लेकिन यह यंत्रण छिद्र के अंदर किया जाने के कारण ऑपरेटर देख नहीं सकता कि टूल की कर्तन छोर (कटिंग एज) पर वास्तव में क्या होरहा है। इसलिए यह यंत्रण सावधानी से करना आवश्यक होता है। लेथ, मिलिंग मशीन या ड्रिलिंग मशीन इनमें से किसी भी मशीन पर यह काम किया जा सकता है।
ड्रिल की नोक के नजदीक कर्तन छोर होती है और यंत्रण करते समय बनी चिप ले जाने के लिए लंबाई पर फ्लूट होतेहैं। विभिन्न यंत्रण प्रकार, मटीरीयल तथा अैप्लिकेशन के अनुसार ड्रिल के प्रकार में बदलाव किया जाता है।
 
छिद्र के प्रकार
तालिका क्र. 1 में हमेशा बनाए जाने वाले छिद्रों की ज्यामिती के विभिन्न प्रकार दर्शाए गए हैं। इन छिद्रों का यंत्रण कम लागत में करने के लिए किस प्रकार की यंत्रण पद्धती का उपयोग करना चाहिए यह मालूम होना जरूरी है। साथ ही उस प्रक्रिया के लिए उचित टूल चुनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

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ड्रिल के प्रकार 
अलग अलग व्यास के लिए विभिन्न प्रकार के ड्रिल इस्तेमाल किए जाते हैं। ड्रिल के मटीरीयल के अनुरुप उनके तीन मुख्य प्रकार होते हैं, तेजगति (हाइ स्पीड) ड्रिल , सॉलिड कार्बाइड ड्रिल तथा इंडेक्सेबल ड्रिल । फिलहाल बाजार में उपलब्ध अधिकांश ड्रिल पर, फिजिकल वेपर डिपॉजिशन (पी.वी.डी.) प्रकार का लेपन (कोटिंग) लगाया होता है। पी.वी.डी. लेपन से, ड्रिल तथा कार्यवस्तु में,घर्षण से तैयार होने वाली उष्मा के कारण होने वाला वेल्डिंग टाला जा सकता है। फलस्वरूप, टूल की घिसावरोध शक्ति में सुधार होता है।
 
ड्रिल का वर्गीकरण 
ड्रिल का वर्गीकरण छः प्रकारों में किया जाता है। ड्रिल की ज्यामिती एकसमान ही होती है, लेकिन अलग अलग मुद्दों के संदर्भ में उनका वर्गीकरण किया जाता है।
• रचना: सॉलिड कार्बाइड, ब्रेज्ड तथा इंडेक्सेबल। ड्रिलिंग प्रक्रिया निश्चित करते समय ड्रिल की किस रचना का उपयोग किया जाने वाला है, यह तय करना अत्यंत महत्वपूर्णहोता है। छिद्र की अचूकता तथा प्रति छिद्र लागत इन बातों का संबंध ड्रिल की रचना से होता है। एच.एस.एस. तथा सॉलिड कार्बाइड ड्रिल (चित्र क्र. 1) लेप समेत या बिना लेप के उपलब्ध होते हैं।

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लंबाई/व्यास अनुपात : स्टब (L/D = 2 से 3), सामान्य(L/D = 4 से 5), लंबा ड्रिल (L/D = 5 से अधिक), अति लंबा ड्रिल (L/D = 10 से अधिक)। ड्रिल के सभी कैटलाग में उस ड्रिल के अनुरुप L/D अनुपात की संख्या दी जाती है। साथही, कितनी गहराई तक इस ड्रिल का इस्तेमाल करना है यह भी दर्शाया जाता है। हमेशा कम से कम लंबाई का ड्रिल इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकिड्रिल की लंबाई बढ़ने से उसकी दृढ़ता (रीजिडिटी) पर विपरित असर होता है और छिद्र की अचूकता एवं यंत्रण की कार्यक्षमता (चित्र क्र. 2) भी प्रभावित होती हैं।

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• ड्रिल के अनुच्छेद की ज्यामिति : शीतक छिद्र के साथ, शीतक छिद्र के बिना तथा स्टेप समेत (चित्र क्र. 3)

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• शैंक के प्रकार (चित्र क्र. 4)

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• ड्रिल हेलिक्स कोण के प्रकार (चित्र क्र. 5)

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ड्रिलिंग बल (फोर्स) 
ड्रिल के उपयोग से यंत्रण करते समय, कर्तन बल तैयार होते हैं। ड्रिल पर काम करने वाले बल चित्र क्र. 6 में दिखाए हैं।

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1. टॉर्क : ड्रिल के घूमने की विरुद्ध दिशा में होता है। 
2. थ्रस्ट: ड्रिल की आगे सरकने की विरुद्ध दिशा में होता है।
मशीनिंग सेंटर पर उच्च कार्यक्षमता का ड्रिलिंग या बड़े व्यास का ड्रिलिंग करना हो, तब मशीन की स्पिंडल मोटर का रेटिंग जांचना जरूरी होता है। कम शक्ति वाले मशीनिंग सेंटर पर काम शुरु करने पर यंत्रण नहीं होता तथा ड्रिल टूट सकता है।
 
टॉर्क तथा थ्रस्ट, ड्रिल के व्यास एवं सरकन गति के अनुसार बदलते हैं। जैसे कि ड्रिल का व्यास 10 मिमी. और उसकी सरकन गति 0.3 मिमी./फेरा हो तो टॉर्क 15Nm होगा और थ्रस्ट 2500N (250 किग्रै.) होगा। इसके साथ यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि टॉर्क तथा थ्रस्ट पर, स्पिंडल गति (आर. पी.एम.) के बदलाव का असर नहीं होता।
चूंकि अधिकांश उद्योगों में ड्रिल का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के मटीरीयल का यंत्रण करने हेतु किया जाता है, वें उच्च यंत्रण पैरामीटर पर काम करनेयोग्य तथा लंबी आयु वाले होना जरूरी है। 'मित्सुबिशी मटीरीयल मेटल वर्किंग सोल्यूशन्स' ने पेश किए नए MVS ड्रिल , यह जरूरतें ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। MVS श्रेणी के ड्रिल मुख्यतः सभी धातुओं से बने तथा L/D अनुपात 1.5 से 40 होने वाले पुर्जों के लिए उपयुक्त हैं। इनकी विशेषताएं दर्शाने वाली कुछ मिसालें आगे दी गई हैं।
MVE / MVS श्रेणि की विशेषताएं 
• नए सॉलिड कार्बाइड ड्रिल 
नए TRI कूलिंग तकनीक तथा पी.वी.डी. लेपन से , विभिन्न प्रकार की जरूरतोंनुसार टूल की अधिक आयु मिलती है।

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कर्तन छोर की ज्यामिति की विशेषताएं 
मित्सुबिशी तथा अन्य पारंपारिक टूल की तुलना दर्शाने वाली मिसालें
मिसाल 1 
वाहन उद्योग के लिए बनाए जाने वाले क्रैंकशाफ्ट की डीप होल ड्रिलिंग प्रक्रिया की मिसाल यहाँ दी गई है।
क्रैंकशाफ्ट का मटीरीयल फोर्ज्ड स्टील होता है जिसकी कठोरता 28 से 30 HRC होती है। बड़ी मात्रा में बनाए जाने वाले इस पुर्जे की यंत्रण प्रक्रिया में आवर्तन समय (साइकल टाइम) तथा प्रति पुर्जा खर्चा कम करना यह दो जरूरतें थी। प्रक्रिया का अध्ययन कर के हमने उन्हें MVS0700X20S070DP1020 इस ड्रिल का सुझाव दिया। इस ड्रिल के इस्तेमाल से अपनाई गई तथा पुरानी प्रक्रिया की तुलना तालिका क्र. 2 में दर्शाई गई है।

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मिसाल 2 
(MVS व्यास 1 से 2.9 मिमी.) अधिक आयु वाले ड्रिल, डीप होल ड्रिलिंग हेतु उपयोगी

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मिसाल 3

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कम घिसाव: DP1020 में उत्कृष्ट घिसावरोधी गुणधर्म होने के कारण, रीग्राइंडिंग करते समय न्यूनतम मटीरीयल हटाना होता है।
 
 
 

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नितीन क्षीरसागर
टीम लीडर (तकनीकी सहायता विभाग) MMC हार्डमेटल इंडिया प्रा. लि.
9371276736 
nitin.kshirsagar@mmci.co.in
नितिन क्षीरसागर यांत्रिकी अभियंता हैं। आप MMC हार्डमेटल इंडिया प्रा. लि. में तांत्रिक सहायता विभाग में टीम लीडर हैं। आपको कटिंग टूल की बिक्री एवं अैप्लिकेशन क्षेत्र का 15 वर्षों का तजुर्बा है।
 
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