कोरोना विषाणु ने दुनिया में तहलका मचा दिया है जिससे भारत भी प्रभावित हुआ है। इससे बचने हेतु भारत सरकार ने 24 मार्च 2020 से लॉकडाउन जारी किया है, जिसका अमल लगातार 31 मई 2020 तक रहेगा। लॉकडाउन के इन दिनों में सभी कारोबार बंद रखने पड़े।
ऐसे हालातों में एक तर्कसंगत अपेक्षा व्यक्त की गई कि सरकार ने लघु एवं मध्यम उद्योगों की सहायता करनी चाहिए। इसके अनुसार वित्तमंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ की योजना घोषित की, जिसे 'स्टिम्युलस' नाम दिया गया है जिसका मतलब है उत्तेजना। साथ ही सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों को फिर से परिभाषित किया गया। इन घोषणाओं में से हम, श्रमिकोंसंबंधि कानून यानि लेबर लॉ से जुड़ी योजनाओं की जानकारी ले कर, लघु एवं मध्यम उद्योगों के संदर्भ में उनकी उपयोगिता पर नजर ड़ालेंगे।
पहले हम देखेंगे कि माननीय वित्तमंत्री ने श्रमिक कानून के संदर्भ में पेश की योजनाएं क्या हैं। अर्थात यहाँ ध्यान में रखना है कि स्टिम्युलस के तहत जारी योजनाओं का रूपांतरण सरकारी अधिसूचना यानि गवर्न्मेंट नोटिफिकेशन में न होने तक न हम उनका विवरण जान सकते हैं ना ही उन पर अमल हो सकता है।
1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत भविष्य निर्वाह निधी अनुदान योजना
योजना का अवधि : आरंभ में यह योजना मार्च, अप्रैल तथा मई 2020 इन तीन महीनों के वेतन पर घोषित की गई। साथ ही, वित्तमंत्री ने बताए हुए पैकेज में यह योजना तीन और महीनों के लिए यानि जून, जुलाई एवं अगस्त 2020 के वेतन समयावधि के लिए बढ़ाई गई है।
लाभों का स्वरूप : योजना की समयावधि में, पात्र आस्थापनाओं के पात्र श्रमिकों के भविष्य निर्वाह निधी का, श्रमिक का 12% एवं मालिक का 12% मिला कर कुल 24% अंशदान सरकार अदा करेगी।
पात्र आस्थापना : जिन आस्थापनाओं को भविष्य निर्वाह निधी योजना लागू है और जिन आस्थापनाओं में 100 या 100 से कम कर्मचारी हो और उनमें से 90% या अधिक कर्मचारियों का मासिक वेतन 15,000 रूपयों से कम हो ऐसी आस्थापनाएं इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र रहेगी।
पात्रता निश्चित करते समय 15,000 रूपयों का यह वेतन, कुल वेतन नहीं बल्कि पी.एफ. वेतन माना जाएगा। साथ ही, आस्थापना का फॉर्म 5A अद्यतनीकृत किया होना जरूरी है।
पात्र कर्मचारी :
1. कर्मचारी का मासिक वेतन 15,000 रूपयों से कम
2. 29.02.2020 पर कर्मचारी, संबंधि आस्थापना में नौकरी पर होना जरूरी है और सितंबर 2019 से फरवरी 2020 तक के समयावधि में कभी भी, किसी भी आस्थापना द्वारा, उसके भविष्य निर्वाह निधी के अंशदान का भुगतान किया होना चाहिए।
3. कर्मचारी का UAN, उसके आधार कार्ड से वैलिडेट किया होना आवश्यक है।
आस्थापना इस योजना के लिए पात्र होने संबंधि शर्त कहती है कि आस्थापना के 90% या अधिक कर्मचारियों का मासिक वेतन 15,000 रुपयों से कम होना चाहिए। वास्तव में यह शर्त पूरी करने वाली आस्थापनाओं की संख्या कम हो सकती है। अन्य शब्दों में कहे तो, 50 कर्मचारी होने वाली आस्थापना में 46 कर्मचारियों का वेतन दर 15,000 रुपयों से कम होने पर ही वह आस्थापना इस योजना का लाभ उठा सकती है।
इस योजना से कुछ ही आस्थापनाओं को कुछ हद तक लाभ होगा।
2. भविष्य निर्वाह निधी का दर, तीन महीनों के लिए, 12% से 10%
आप जानते ही होंगे कि जिस आस्थापना में, किसी भी दिन, 20 या अधिक कर्मचारी होने पर, उसे भविष्य निर्वाह निधी अधिनियम लागू होता है। ऐसी आस्थापनाओं के लिए अनिवार्य है कि उनके द्वारा हर माह, कर्मचारियों के वेतन से 12% काट कर तथा मालिक की 12% राशि मिला कर कुल 24 % राशि भविष्य निर्वाह निधी में अदा
की जाए।
केंद्र सरकार ने 18 मई 2020 की अधिसूचना द्वारा भविष्य निर्वाह निधी कानून में सुधार किए हैं। जिनके अनुसार मई, जून तथा जुलाई 2020 इन तीन महीनों के लिए भविष्य निर्वाह निधी का दर, श्रमिक एवं मालिक दोनों के लिए 12% के बजाय 10% रहेगा। यह सहूलियत सभी आस्थापनाओं के लिए हैं।
इस प्रावधान से, वेतन का 2% हिस्सा कर्मचारी के हाथ में आएगा, साथ ही आस्थापना का बोझ उतना ही कम होगा। अच्छा है कि यह लाभ सभी को मिलेगा लेकिन यह छूट केवल तीन ही महीनों के लिए है।
एक अन्य मुद्दा यह है कि श्रमिक के हाथों अधिक रकम आएगी लेकिन उसके पी.एफ. खाते में इन तीन महीनों में, महीना 4% कम रकम जमा होगी। जिनका वेतन सी.टी.सी. स्वरूप का होता है उन्हें, मालिक का घटा हुआ हिस्सा भी कर्मचारियों को प्राप्त होगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाभ उठाने वाले व्यक्ति 10% पी.एफ. की इस योजना में शामिल नहीं हो सकते।
3. कर्मचारी बीमा योजना का विस्तारण
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने, आत्मनिर्भर पैकेजअंतर्गत घोषणा की है कि कर्मचारी बीमा योजना पूरे देश में लागू की जाएगी। जिन आस्थापनाओं में 10 या अधिक कर्मचारी होंगे उन्हें यह योजना लागू रहेगी। चूंकि इसकी अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है, योजना का ब्योरा बाद में ही समझ आएगा।
फिलहाल जिन कारखानों में कोनसे भी 10 कर्मचारी होंगे, अथवा जिन आस्थापनाओं में 20 या अधिक कर्मचारी महीना 21,000 रूपयों से कम वेतन लेते होंगे उन्हीं को यह योजना लागू रहेगी। अब, 10 कर्मचारी होने वाली आस्थापनाओं को यह योजना व्यापकता से लागू करने के कारण 10 से 20 कर्मचारी होने वाले छोटे संगठन इस कानून में शामिल रहेंगे। लेकिन कर्मचारियों को दर्जेदार चिकित्सात्मक सेवाएं उपलब्ध हो तो ही उन्हें इस योजना का वास्तविक लाभ मिल सकता है, अन्यथा छोटी आस्थापनाओं का खर्चा बढ़ने के अलावा इस योजना में से कोई फल नहीं निकलेगा। जोखीमभरी प्रक्रियाएं करने वाले कारखानों को यह योजना लागू रहेगी, चाहे उनमें कर्मचारियों की संख्या 10 से भी कम हो।
फिलहाल कुछ ही जिलों में यह योजना जारी है। इस योजना में पैनल डॉक्टर, इ.एस.आइ. तथा संलग्न हॉस्पिटल द्वारा चिकित्सा सेवा, दुर्घटना बीमा जैसे लाभ दिए जाते हैं। यह योजना पूरे देश में लागू करनी हो तो इन सुविधाओं का जाल सभी जगहों तक फैलाना जरूरी है।
केंद्र सरकार ने अन्य योजनाओं की भी घोषणा की है, जो इस प्रकार हैं
1. अपारंपरिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना
2. कटौती के कारण नौकरी गवांने वाले श्रमिकों के लिए पुनर्कौशल निधी (रीस्किलिंग फंड)
3. उद्योग के सभी क्षेत्र महिलाओं के लिए खुले तथा रात-पाली (नाइट शिफ्ट) में काम करना अनुमत
4. असंघठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा निधी
5. एक वर्ष काम करने वाले कर्मचारी को ग्रैच्युइटी लाभ
6. पूरे देश में, किमान वेतन के तहत फ्लोर वेजेस
कुछ वित्तीय प्रोत्साहक (स्टिम्युलंट )
कर्मचारी कानून संबंधि सहूलियत देने के साथ ही, देश के उद्यमों के वित्तीय हालात ठीक करने हेतु केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि लघु उद्योगों को 3 लाख करोड़ रुपयों का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। अक्तूबर 2020 तक 45 लाख उद्योगों को, सरकार बिना प्रमाणन (कोलैटरल) ऋण देगी। पिछले दो महीनों में आपूर्ति शृंखला (सप्लाइ चेन) खंड़ित हुई है, मजदूर अपने गांव लौटने के कारण कर्मियों का अभाव महसूस हो सकता है। स्थानिकों को रोजगार दिए गए तो भी उन्हें प्रशिक्षा देने में समय बीत जाएगा। अब तक हुआ नुकसान तथा संभाव्य दिक्कतों से होने वाली हानि का दोहरा तनाव घटाने में इस नई ऋण योजना की सहायता हो सकती है।
90 के दशक में भारतीय वित्त प्रणाली खुली होने पर विदेशी कंपनियां मध्यम स्तर के ठेके भी लेने लगी। ऐसी बड़ी कंपनियां स्पर्धा में आने से, भारतीय उद्यमियों के हाथ में आने वाले ऐसे ठेके घट गए। अब नए सरकारी अधिनियम के अनुसार, 200 करोड़ रुपये मूल्य तक का ठेका सिर्फ भारतीय कंपनी ही ले सकती है। भारतीय उद्योगों के लिए यह एक अच्छा मौका है।
उपरोक्त योजनाओं का विवरण यद्यपि स्पष्ट न किया जाने के कारण, उनके बारे में और चर्चा नहीं कर सकते। संक्षेप में कहे तो माननीय वित्तमंत्री द्वारा घोषित कर्मचारी कानूनोंसंबंधि योजना और वित्तीय छूट से उद्योग क्षेत्र का कुछ तो लाभ यकीनन हो जाएगा।
देखा गया है कि सबसे बलवान या स्थूलकाय जानवर भी प्राकृतिक बदलावों के सामने नहीं टिक सके लेकिन परिवेश के अनुसार खुद में उचित बदलाव करने वाली प्रजातियां आज भी धरती पर मौजूद हैं। कह सकते हैं कि प्राकृतिक नियम बाजारों को भी लागू होते हैं। यह मिसाल उद्योगों को ठीक लागू होता है क्योंकि उद्यमी एक ही उत्पाद या सेवा पेश कर के रुकता नहीं बल्कि बदलते हालातों से मेल रख कर या उनका मुकाबला कर के वह अपनी काबीलियत बार बार दिखाता है। आग में पूर्णतः जल जाने के बाद फिर से उभरने की क्षमता दो ही प्रजातियों में है; एक है पौराणिक फिनिक्स पंछी और दूसरा है मानव! इसीलिए कह सकते हैं कि अपनी समर्थता दिखा कर समाज के लिए भी अच्छा काम करने का मौका कोई भी समझदार उद्यमी गवांएगा नहीं।
मुकुंद कुलकर्णी
कर्मचारी कानूनी सलाहकार
9422028709
pmsmk03@gmail.com
मुकुंद कुलकर्णी कर्मचारी कानूनसंबंधि तज्ज्ञ हैं। पिछले 30 सालों से आप विविध कंपनियों में कर्मचारी कानूनी सलाहकार के रुप में काम करते हैं।