कोई भी ड्रॉइंग बनाने से पहले, पूर्वतैयारी के रूप में, उसकी उचित टेंप्लेट बनाना आवश्यक एवं सुविधाजनक भी होता है। टेंप्लेट बनाते समय कुछ बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने से टेंप्लेट बनाने के लाभ पूरी तरह पाए जा सकते हैं। ऐसी ही कुछ तरकीबें इस लेख में बताई गई हैं।
पिछले लेख में हमने अति आधुनिक पैरामैट्रिक ड्रॉइंग तकनीक का अध्ययन किया। पैरामैट्रिक ड्रॉइंग से हम काम के समय में बचत कर सकते हैं और गलतियों की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इससे ड्रॉइंग का मानकीकरण होने में मदद मिलती है। इस लेख में हम ड्रॉइंग की पूर्वतैयारी के बारे में जानकारी लेते हैं।
जैसे क्रिकेट खेलते समय पिच महत्वपूर्ण होती है, उसी प्रकार ड्रॉइंग बनाने से पहले उसकी निर्धारित पिच यानि टेंप्लेट उचित होना जरूरी है। लघु उद्यमी के पास कामों की विविधता होती है। जैसे शाफ्ट तैयार करना, पिन तैयार करना, यदाकदा असेंब्ली करना आदि। ग्राहकाभिमुख होने के कारण ही वह व्यवसाय की प्रतिस्पर्धा में बना रहता है। जिस प्रकार उसके काम में विविधता होती है उसी प्रकार उसके ग्राहक भी कई प्रकार के होते हैं। हर ग्राहक के अनुसार उसके काम की प्रणाली एवं परिमाण (स्टैंडर्ड) बदलते हैं। इस कारण, हर आवश्यक ड्रॉइंग के परिमाणों में भी बदलाव करने पड़ते हैं। इसी लिए एक स्थायी ड्रॉइंग फाइल तैयार रखना उचित होता है। कैड ड्रॉइंग के फाइल के संबोधन में विशेष एक्स्टेंन्शन का इस्तेमाल होता है, जिससे उस फाइल का स्वरूप तथा वह किसलिए बनाई है इसका तुरंत पता चलता है। कैड ड्रॉइंग फाइल को 'dwg' संबोधित किया जाता है। टेंप्लेट के लिए 'dwt' एक्स्टेंन्शन का इस्तेमाल किया जाता है.
(टिप्पणि : 'टेंप्लेट' फाइल भी ड्रॉइंग फाइल का ही एक प्रकार होता है)।
टेंप्लेट तैयार करते समय आगे दी गई बातों पर अवश्य विचार करें।
· शीट का आकार (शीट साइज) : जिस पर ड्रॉइंग बनाना है उस कागज का माप - A0, A1, A2, A3, A4
· टाइटल ब्लॉक : (चित्र क्र. 1) इसमें ड्रॉइंग की तकनीकी जानकारी तथा अन्य विश्लेषण दर्ज किए जाते हैं।
· मापन पद्धति (डाइमेन्शन स्टाइल)
· निर्देश पद्धति (अैरो स्टाइल)
· अक्षर प्रकार (टेक्स्ट स्टाइल)
· मापन का एकक (यूनिट ऑफ मेजर) : मिमी. अथवा इंच
· अनुपात (रेशो)
ग्राहक की पद्धतियों और मापदंड़ों के अनुसार, विशिष्ट मुद्दों का टेंप्लेट में समावेश होना चाहिए। उसे अपेक्षित फॉर्म में होने वाली टेंप्लेट को, फाइल के माध्यम से संग्रहित किया जा सकता है और आवश्यकता के अनुसार उसका उपयोग किया जा सकता है।
टेंप्लेट तैयार करने से मिलने वाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ
· इस निश्चितिकरण के कारण काम की नीरसता कम होती है।
· समय की बड़ी मात्रा में बचत होती है।
· हमेशा होने वाली छोटी गलतियां कम होती हैं।
· प्रलेखन (डॉक्युमेंटेशन) करते समय इसका लाभ होता है।
· नए साफ्टवेयर, उपयोगकर्ताओं को समझना आसान होता है।
टेंप्लेट तैयार करते समय टाइटल ब्लॉक बेहद महत्वपूर्ण है। एक ही ग्राहक से, विभिन्न पद्धति के ड्रॉइंग बनाने की मांग होती है। ऐसे समय, टेंप्लेट वही रख कर सिर्फ टाइटल ब्लॉक में परिवर्तन करें। इसके लिए टाइटल ब्लॉक करते समय उसे 'BLOCK' कमांड से करें। होम (Home) विकल्प में क्रिएट (create) यह उपविकल्प चुनें या कमांड लाइन में ब्लॉक (BLOCK) लिखने पर यह कमांड सीधी मिलेगी।
उसमें सारी जानकारी संकलित रूप में रहती है और उसमें बदलाव करना आसान होता है।
टाइटल ब्लॉक में, आगे दी गई जानकारी होना अपेक्षित है (चित्र क्र. 1)
चित्र क्र. 1 : टाइटल ब्लॉक का नमूना
· वस्तु का नाम और क्रमांक
· वस्तु तैयार करने हेतु आवश्यक कच्चा माल तथा उसकी जानकारी
· मात्रा अनुपात
· ड्रॉइंग तैयार करने वाले का नाम, जांचने वाले का नाम, मान्यता देने वाले का नाम आदि
· ड्रॉइंग बनाने की पद्धति (फर्स्ट/थर्ड अैंगल)
· पुनरावर्तन (रिवीजन) क्रमांक
· संशोधनसंबंधि टिप्पणि
· शीट क्रमांक
ड्रॉइंग में दर्शाई हुई विभिन्न वस्तुओं (ऑब्जेक्ट) के समूह को ब्लॉक कहते हैं। अब ब्लॉक कमांड को इस्तेमाल करना संक्षेप में जानते हैं।
· सबसे पहले, हमें जो अपेक्षित एकत्रित ऑब्जेक्ट चाहिए उन्हें तैयार करें।
· ब्लॉक कमांड का इस्तेमाल करें।
· ब्लॉक का नाम निश्चित करें।
· एकत्रित अपेक्षित वस्तु चुनें।
· ब्लॉक का स्थान निश्चित करें।
इस प्रकार आपका समूह यानि ब्लॉक तैयार होगा। इस तैयार ब्लॉक को हम, कुछ समय पश्चात, जरूरतनुसार बदल सकते हैं। इस कमांड का उपयोग कर के हमने टाइटल ब्लॉक तैयार किया है।
ब्लॉक कमांड के उपयोग से हम अन्य लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं, जो आगे दिए गए हैं।
· नियमित इस्तेमाल होने वाले विभिन्न आकार
· चिन्ह (symbols) तैयार कर के रख सकते हैं।
· विशेष टिप्पणि
· अंक, अक्षर और शब्द आदि
'ब्लॉक लाइब्रेरी' में, चित्र क्र. 2 में दर्शाएनुसार चिन्ह, आकार तथा कुछ विशेष टिप्पणियों का समावेश किया जा सकता है।
चित्र क्र. 2 : ब्लॉक लाइब्रेरी
इन सबको मिला कर हम ब्लॉक लाइब्रेरी तैयार कर सकते हैं। इस लाइब्रेरी को एक विशेष टेंप्लेट के रूप में सेव किया जा सकता है। ये लाइब्रेरी एक ड्रॉइंग फाइल ही होती है, जिसे हम जरूरत के अनुसार उचित स्थान पर इस्तेमाल कर सकते हैं। नियमित रूप से इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के विशेष आकार, चिन्ह आदि का हम तुरंत इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सिर्फ फोल्डर स्ट्रक्चर का उपयोग करना चाहिए, ताकि हमने बनाई ब्लॉक लाइब्रेरी, आसानी से मिल सके और हमारा समय बचाया जा सके।
अगले अंक में हम इसी प्रकार की अन्य संकल्पनाओं के बारे में जानेंगे। इनमें कैड में अत्याधुनिक कमांड, ड्रॉइंग, कन्वर्जन्स, एक्स्टर्नल रेफरन्स आदि का समावेश प्रमुख रूप से होगा।
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अमित घोले यांत्रिकी अभियंता हैं। अैटलास कॉप्को, थिसेन क्रुप जैसी मल्टिनैशनल कंपनियों के डिजाइन विभाग में कई साल काम करने के बाद, आपने इंजीनीयरिंग डिजाइन सोल्यूशन और कॉर्पोरेट प्रशिक्षण देने वाली 'इमैजिका टेक्नोसाफ्ट' इस कन्सल्टन्सी की स्थापना की है।