बोरिंग में छिद्र के अंदरूनी व्यास से मटीरीयल निकाला जाता है। इसमें छिद्र की गहराई बढ़ाने की दृष्टि से कोई भी काम नहीं किया जाता। बोरिंग में इस्तेमाल होने वाला बार धातु का होता है और उसकी नोंक पर टूल लगाया जाता है। जब बेलनाकार भाग पर बोरिंग किया जाता है तब उस प्रक्रिया को लाइन बोरिंग कहा जाता है। दूसरे प्रकार का बोरिंग, बैक बोरिंग के नाम से जाना जाता है। इसमें छिद्र की पिछली बाजू से यंत्रण कर के आकार बढ़ाया जाता है। बोरिंग का काम मिलिंग मशीन पर तथा लेथ मशीन पर भी किया जा सकता है।
जब कार्यवस्तु में सिर्फ बोरिंग का काम होता है, तब वह अधिक जटिल नहीं होता। लेकिन बोरिंग के साथ बाह्य व्यास टर्निंग, काउंटरिंग, ड्रिलिंग आदि काम हो तब वह काम पेचीदा बन सकता है। जैसे, चित्र क्र. 1 में दर्शाई कार्यवस्तु में बोरिंग के साथ बाह्य टर्निंग, ड्रिलिंग आदि काम करने हैं। इसके सुलभ यंत्रण हेतु उपयुक्त प्रोग्रैम आगे दिया है।
चित्र क्र. 1
यह प्रोग्रैम, स्टेप क्र. 2 (N2) से शुरू होता है। इसमें R10 यह वक्र (कर्व) काटना है (स्टेप नं N11)। उसके बाद बाह्य व्यास का प्रोफाइल फाइन टर्निंग किया है। अब छिद्र के व्यास का ओपन ड्रिलिंग किया है। इसके बाद ओपन बोरिंग, स्टेप क्र. N45 से किया गया है। आगे दिए गए अनुक्रम में यंत्रण करने के लिए प्रोग्रैम करना पड़ता है, ताकि सारे काम उचित रीति में हो।
1. ओपन बाह्य व्यास का प्रोफाइल रफ टर्निंग
2. बाह्य व्यास का प्रोफाइल फाइन टर्निंग
3. ओपन ड्रिलिंग व्यास
4. ओपन बोरिंग
सबसे आखिर में बोरिंग का काम किया जाता है। प्रोग्रैम में कैन्ड आवर्तन G70, G71, G74 का उपयोग किया है।
दी हुई कार्यवस्तु में Ø38, Ø34, Ø24, Ø16 व्यास हैं। R10 को त्रिज्यात्मक काट (रेडियल कट) करना है और Ø12 का ड्रिल करना है। इसका प्रोग्रैम आगे दिया है।
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सतीश जोशी सी.एन.सी. मशीनिंग के तज्ञ एवं सलाहकार हैं। विभिन्न महाविद्यालयों में अध्यापन का काम करते समय आपकी सी.एन.सी. लेथ विषय पर पुस्तक प्रकाशित हुई है। आपने संगणक संबधित किताबें मराठी तथा अंग्रेजी भाषा में लिखी हैं।