वाहन उद्योग, मेडिकल इम्प्लैंट जैसे उद्योगों में सभी पुर्जों की सटीकता सर्वोच्च होने कीअपेक्षा रहती है। ऐसे छोटे एवं लंबे बेलनाकार पुर्जों का यंत्रण पारंपरिक लेथ पर करतेसमय उनका आवर्तन काल कम रखते हुए अपेक्षित अचूकता बरकरार रखना एक चुनौति होती है। इस चुनौति का सामना करने के लिए विकसित हुए स्विस टाइप टर्निंग अर्थात स्लायडिंग हेड ऑटोमैट के उपलब्ध प्रकारों की जानकारी देने वाला लेख।
स्विट्जरलैंड का घड़ी बनाने का उद्योग प्रसिद्ध ही है। इन घड़ियों के छोटे या लंबे बेलनाकार शाफ्ट जैसे पुर्जे बनाते वक्त उत्पादकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि पारंपरिक लेथ पर दो सेंटर के बीच में इन छोटे पुर्जों को (चित्र क्र. 1) पकड़ कर उनका टर्निंग करते समय टेलस्टॉक के दबाव के कारण वे मुड़ जाते थे।
स्थिर (फिक्स्ड्) हेडस्टॉक वाले पारंपरिक लेथ में कार्यवस्तु को चक में, या चक या टेलस्टॉक के इस्तेमाल से सेंटर के बीच में पकड़ा जाता है। कटिंग टूल को, कार्यवस्तु की लंबाई और चौड़ाई के अक्षों पर सरकाया जाता है। लेकिन, जैसा कि ऊपर बताया गया है, इस तरीके से कम व्यास के शाफ्ट बनाते समय मुश्किलें आती हैं। उनसे बचने के लिए टर्निंग की एक नई तकनीक विकसित की गई, इसी लिए इस तकनीक को 'स्विस टाइप टर्निंग' के नाम से भी जाना जाता है।
अल्प व्यास का (स्लेंडर) शाफ्ट यानि वह शाफ्ट जिसका व्यास से लंबाई का अनुपात 1:5 से अधिक हो। उदाहरण के लिए, टर्निंग किए जाने वाले पुर्जे का व्यास 10 मिमी. और लंबाई 50 मिमी. से ज्यादा हो तो ऐसे पुर्जे स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट पर आसानी से बनते हैं। स्लेंडर शाफ्ट का रूप चित्र क्र. 2 को देख कर समझा जा सकता है। चित्र क्र. 2 और उसकी व्याख्या देखने पर यह स्पष्ट होता है कि पारंपरिक लेथ पर अल्प व्यास का शाफ्ट बनाने में कितनी मुश्किलें आती हैं। इसीलिए कम व्यास के शाफ्ट स्विस टाइप टर्निंग तरीके से बनाए जाते हैं।
स्विस टाइप टर्निंग और पारंपरिक टर्निंग के बीच का फर्क• हेडस्टॉक, घूमने वाले बार के साथ लंबाई के अक्ष पर सरके (चित्र क्र. 3) ऐसी रचना।
• इसकी संरचना ऐसी होती है कि घूमने वाला डंड़ा अत्यंत सटीक टॉलरन्स युक्त गाइड बुश में से जाता है। इस गाइड बुश के पास कटिंग टूल को बिठाया जाता है।
• पारंपरिक टर्निंग में, सरकने की गति (फीड) लंबाई के अक्ष पर और काट की गहराई क्रॉस अक्ष पर, इस तरह कटिंग टूल के दो रैखिक संचलन होते हैं। स्विस टर्निंग की नई संरचना में सरकने की गति देने का काम सरकने वाले हेडस्टॉक द्वारा किया जाता है और कटिंग टूल द्वारा केवल काट की गहराई हासिल की जाती है।
• पारंपरिक तरीके से टर्निंग करते समय, टूल जैसे चक/कॉलेट/सेंटर से दूर जाता है वैसे अचूकता की मात्रा बदलती है। लेकिन स्विस टर्निंग में सभी कटिंग, गाइड बुश से लगातार एक ही विशिष्ट दूरी रख कर किया जाता है और इसीलिए हरएक पुर्जे में एकसमान अचूकता पाई जाती है। फलस्वरूप स्विस टर्निंग के कारण, कम व्यास के पुर्जों को बड़ी संख्या में बनाते समय आकार की निरंतरता प्राप्त करना संभव होता है।
एक स्पिंडल ऑटोमैट की तरह ही स्विस ऑटोमैट में भी रैखिक संचालन के लिए कैम का इस्तेमाल (चित्र क्र. 4) किया जाता है। बाद में कैम के जगह सी.एन.सी. आया। इसके अलावा स्विस टाइप ऑटोमैट में सर्वो मोटर, बॉल स्क्रू, संचालन का विश्लेषण करने वाले रिजॉल्वर जैसी नई तकनीकों का समावेश किया गया जिससे इसकी सटीकता और उत्पादकता, दोनों में बढ़ोतरी हुई।
आवश्यकतानुसार विभिन्न पुर्जों की ज्यामितीय संरचना अधिक जटिल होती गई। उन पर टर्निंग, मिलिंग, थ्रेड कटिंग, ड्रिलिंग, बोरिंग, पॉलिगॉन मेकिंग जैसी प्रक्रियाएं करना भी जरूरी हो गया। इस वजह से, सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट की बुनियादी संरचना में भी क्रांतिकारी बदलाव हुए। जैसे कि अतिरिक्त सी.एन.सी. अक्ष (चित्र क्र. 5), प्रमुख एवं सबस्पिंडल पर लगाए जाने वाले टूल की संख्या आदि। सरफेस फिनिश तथा कच्चे माल के अनुसार सभी मशीनों पर स्थिर (स्टेशनरी) या घूमता (रिवॉल्विंग) गाइड बुश लगाया जा सकता है।
अब हम मूलभूत 3 रैखिक अक्ष वाले सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट और अतिरिक्त अक्ष होने वाली मशीन का अभ्यास करेंगे।
3 अक्षीय सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट
3 अक्षीय सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट की संरचना सामान्यतः चित्र क्र. 6 में दर्शाए अनुसार होती है। लेकिन इसमें Z2 अक्ष नहीं होता।
1. यह 3 रैखिक अक्ष वाला ऑटोमैट है।
2. हेडस्टॉक Z1 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
3. गैंग टूल आड़ी दिशा में 2 अक्षों पर हिलते हैं।
• X1 - क्षितिज के समानांतर
• Y1 - लंबरूप (सफेद रंग के बाण)
4. टूल की इस संरचना को गैंग टूल कहते हैं। उन्हें एक स्लाइड पर लगाया जाता है।
5. गैंग टूलिंग में आगे दिए गए टूल समाविष्ट होते हैं।
a. स्क्वेयर शैंक टर्निंग टूल, इसमें एक पार्टिंग टूल का होना जरूरी होता है।
b. क्रॉस मिलिंग और ड्रिलिंग के लिए राउंड शैंक लाइव होना जरूरी होता है। प्रमुख स्पिंडल पर C अक्ष होना जरूरी है।
c. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और प्रमुख स्पिंडल की दिशा में लगाया हुआ।
d. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और सबस्पिंडल की दिशा में लगाया हुआ। (यह टूल अतिरिक्त माने जाते हैं क्योंकि अगर मशीन में सबस्पिंडल हो और संबंधि पुर्जे पर दूसरे क्रम के काम तथा प्रक्रिया करना जरूरी हो तो ही ये टूल इस्तेमाल किए जाते हैं। इस बारे में विस्तृत चर्चा आगे की गई है।)
ऊपर दिए गए c और d मुद्दों में उल्लेख किए गए टूल के लिए 'स्थिर' इस शब्द का इस्तेमाल किया है। इसका मतलब है टूल को मोटर ड्राइव ना होने के कारण वे घूम नहीं सकते। वे एक जगह स्थिर रह कर गाइड बुश में घूमते हुए पुर्जों का यंत्रण करते हैं। यह प्रक्रिया पुर्जे के मध्य अक्ष के संदर्भ से की जाती है।
4 अक्षीय सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट 4 अक्षीय सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट की संरचना चित्र क्र. 6 में दर्शाई गई है।
1. यह ऑटोमैट, 4 रैखिक अक्ष वाली मशीन होती है।
2. हेडस्टॉक, Z1 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
3. सबस्पिंडल Z2 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
4. गैंग टूल आड़ी दिशा में 2 अक्षों पर हिलते हैं।
• X - क्षितिज से समानांतर
• Y - लंबरूप (सफेद रंग के बाण)
5. टूल की इस संरचना को गैंग कहते हैं। उन्हें एक स्लाइड पर लगाया
जाता है।
6. गैंग टूलिंग में आगे दिए टूल समाविष्ट होते हैं।
a. स्क्वेयर शैंक टर्निंग टूल, इसमें एक पार्टिंग टूल का होना जरूरी होता है।
b. क्रॉस मिलिंग और ड्रिलिंग के लिए राउंड शैंक लाइव होना जरूरी होता है। प्रमुख स्पिंडल पर C अक्ष होना जरूरी है।
c. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और प्रमुख स्पिंडल की दिशा में लगाया हुआ।
d. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और सबस्पिंडल की दिशा में लगाया हुआ।
5 अक्षीय सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट (चित्र क्र. 7)
1. इस ऑटोमैट को 5 रैखिक अक्ष होते हैं।
2. हेडस्टॉक, Z1 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
3. सबस्पिंडल Z2 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
4. गैंग टूल आड़ी दिशा में 2 अक्षों पर हिलते हैं।
• X - क्षितिज से समानांतर
• Y - लंबरूप (सफेद रंग के बाण)
5. सबस्पिंडल में पकड़े हुए पुर्जे के काट कर निकाले हुए (पार्टेड) हिस्से की नोक के पृष्ठ पर, एंड वर्किंग टूल काम करते हैं। इनका काम X2 रेखीय अक्ष पर (लाल रंग का क्षैतिज अक्ष) होता है।
6. टूल की इस संरचना को गैंग कहते हैं। उन्हें एक स्लाइड पर लगाया
जाता है।
7. गैंग टूलिंग में आगे दिए टूल समाविष्ट होते हैं।
a. स्क्वेयर शैंक टर्निंग टूल, इसमें एक पार्टिंग टूल का होना जरूरी होता है।
b. क्रॉस मिलिंग और ड्रिलिंग के लिए राउंड शैंक लाइव होना जरूरी होता है। प्रमुख स्पिंडल पर C अक्ष होना जरूरी है।
c. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और प्रमुख स्पिंडल की दिशा में लगाया हुआ।
d. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और सबस्पिंडल की दिशा में लगाया हुआ।
e. राउंड शैंक घूमता, एंड वर्किंग, सबस्पिंडल पर C2 अक्ष होना
जरूरी है।
6 अक्षीय सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट (चित्र क्र. 9) 1. यह ऑटोमैट यानि 6 रैखिक अक्ष वाली मशीन होती है।
2. हेडस्टॉक Z1 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
3. सबस्पिंडल Z2 अक्ष पर आड़ी दिशा में (लाल रंग का बाण) सरकता है।
4. गैंग टूल आड़ी दिशा में 2 अक्षों पर हिलते हैं।
• X1 - क्षितिज से समानांतर
• Y1 - लंबरूप (सफेद रंग के बाण)
5. सबस्पिंडल में पकड़े हुए घटकों के काट कर निकाले हुए हिस्सों की नोक के पृष्ठ पर एंड वर्किंग टूल काम करते हैं। इनका काम X2 और Y2 रैखिक अक्षों पर (लाल रंग के बाण) चलता है।
6. टूल की इस संरचना को गैंग कहते हैं। उन्हें एक स्लाइड पर लगाया जाता है।
7. गैंग टूलिंग में आगे दिए टूल समाविष्ट होते हैं।
a. स्क्वेयर शैंक टर्निंग टूल। इसमें एक पार्टिंग टूल का होना जरूरी होता है।
b. क्रॉस मिलिंग तथा ड्रिलिंग के लिए जरूरी है कि राउंड शैंक लाइव हो। प्रमुख स्पिंडल पर C अक्ष होना जरूरी है।
c. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर, प्रमुख स्पिंडल की दिशा में लगाया होता हैं।
d. राउंड शैंक अक्षीय स्थिर और सबस्पिंडल की दिशा में लगाया
होता हैं।
e. राउंड शैंक घूमता, एंड वर्किंग टूल, सबस्पिंडल पर C2 अक्ष होना
जरूरी है।
अधिक उलझी हुई और क्लिष्ट प्रक्रियाएं पूरी करना संभव होने के लिए मशीन की कुल संरचना भी लचीली (फ्लेक्जिबल) होना आवश्यक होता है। इसके लिए निर्माताओं ने, सबस्पिंडल की बॉडी पर दो घूमते हुए टूल दिए हैं। प्रमुख स्पिंडल में पकड़े हुए पुर्जे के पृष्ठ के बीचोबीच छिद्र करना इसी से संभव होता है। इस काम के लिए, विशिष्ट कोण में काम कर के उस स्थिति में लॉक होने वाली स्पिंडल इंडेक्सिंग सुविधा का इस्तेमाल किया जाता है।
हमने अब तक गैंग टूलिंग की जानकारी प्राप्त की है। लेकिन तकनीकी विकास के चलते कुछ उत्पादकों ने गैंग टूलिंग के बजाय टरेट को अपनाना शुरू किया, तो कुछ उत्पादकों ने अपनी संरचना में टरेट और गैंग टूलिंग का इस्तेमाल एकसाथ (चित्र क्र. 10) करना शुरू किया।
स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट का चुनाव करना42 मिमी. व्यास तक का बार यंत्रण करने वाले सी.एन.सी. स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट आज उपलब्ध हैं। इस प्रकार की उचित मशीन चुनते समय आगे दिए गए मुद्दों का ध्यान रखना चाहिए।
• पुर्जे का अधिकतम व्यास।
• एक चकिंग में जितनी संभव हो उतनी लंबाई।
• ऑटोमैट पर करने योग्य काम।
• ऑटोमैट पर बिठाए जाने वाले टूल की संख्या।
• क्या दूसरे क्रम की प्रक्रियाओं (सेकंडरी ऑपरेशन) की आवश्यकता है?
• ऑटोमैट पर बनानेयोग्य पुर्जों की संख्या।