टैली अकाउंटिंग का परिचय

28 Apr 2021 15:16:27

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धातुकार्य मार्च 2021 के अंक में हमने संगणकीय अकाउंटिंगसंबधि प्राथमिक जानकारी ली है। लघु तथा मध्यम उद्योगों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले टैली अकाउंटिंग साफ्टवेयर के बारे में हम दो भागों में जानेंगे। टैली से परिचित रहना उद्यमियों को लाभदायक है, क्योंकि इससे अकाउंटंट द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर गौर करना आसान होता है और इसकी अचूकता समझी जा सकती है। साथ ही, टैली से प्राप्त हुए रिपोर्ट की अचूकता का स्तर समझ लेने पर, उनके आधार पर आर्थिक निर्णय लेने हेतु यह रिपोर्ट प्रभावी रूप से इस्तेमाल हो सकता है।
टैली अकाउंटिंग साफ्टवेयर, बेंगलुरु स्थित टैली सोल्यूशन्स प्रा. लि. कंपनी ने तैयार किया है और यह 1986 से बाजार में उपलब्ध है। ग्राहकों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समय समय पर इसमें कई सुधार किए गए, ERP समेत टैली यह इस साफ्टवेयर में किया गया प्रमुख सुधार है। GST रिटर्न भरना और अन्य प्रावधानों का पालन अकाउंटिंग साफ्टवेयर से किया जा सके इसलिए, 2017 में टैली का GST कंप्लायंट वर्जन उपलब्ध हुआ। पिछले भाग में बताएनुसार, ERP समेत टैली ERP 9 यह वर्जन अधिकांश जगह इस्तेमाल होता है। इस बारे में हम अधिक जानकारी लेते हैं।
अकाउंटिंग की दृष्टि से देखें, तो टैली और टैली ERP दोनो के सिद्धांत और कार्यपद्धति मूलतः एकसमान है। सिर्फ टैली हो या ERP टैली, आगे दी गई जानकारी उद्योजकों को उपयुक्त होगी। अन्य अकाउंटिंग साफ्टवेयर की तुलना में टैली की यह विशेषता है कि इसमें, अलग अलग लेजर खातों में लेजर पोस्टिंग करने हेतु अकाउंटिंग कोड नंबर का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि हर अकाउंट का नाम ही टैली साफ्टवेयर में उसकी पहचान होती है।
 
टैली
कोडलेस साफ्टवेयर होने के कारण उपयोगकर्ता (युजर) जब टैली में जानकारी दर्ज करता है तब उसे अकाउंट कोड नंबर याद रखने की जरूरत नहीं होती। व्यवहार करते समय जिस नाम से अकाउंट जाना जाता है उसी नाम से वाउचर दर्ज किया जाता है। जैसे, डीलक्स एंटरप्राईजेस इस ग्राहक के बिल की एंट्री करने हेतु अकाउंटंट को उस पार्टी का अकाउंट नंबर पता होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि डीलक्स एंटरप्राइजेस इसी नाम से टैली के कस्टमर लेजर में ग्राहक का खाता खोला जाता है। सिर्फ डाटा एंट्री ही नहीं बल्कि अकाउंटसंबंधि लेजर तथा अन्य रिपोर्ट प्राप्त करने हेतु उस अकाउंट के प्रचलित नाम का ही उपयोग किया जाता है। इस सुविधा के कारण टैली में एंट्री करना और रिपोर्ट पाना आसान होता है। इसलिए टैली एक बहुत ही लोकप्रिय अकाउंटिंग साफ्टवेयर बन गया है।
सुरक्षा और प्राइवेसी
डाटा सुरक्षा तथा प्राइवेसी की दृष्टि से सोचें, तो इसमें पहले ही तय किया जा सकता है कि हर स्तर के उपयोगकर्ता टैली के कौनसे विकल्प (मेन्यु) इस्तेमाल कर सकता है। जैसे, जानकारी दर्ज करने वाले अकाउंट असिस्टंट को, साफ्टवेयर में सिर्फ वाउचर एंट्री का विकल्प उपलब्ध हो सकता है। लेकिन उसके पर्यवेक्षक को वाउचर में बदलाव करने और वाउचर रिपोर्ट देखने का अधिकार याने व्यू अैक्सेस दिया जा सकता है। संगठनात्मक प्राधिकारों की सीढ़ी (ऑर्गनाइजेशनल हाइरार्की) चढती जाने पर, अधिकाधिक अधिकार उपयोगकर्ताओं को मिल सकते हैं। जैसे, व्यवसाय का मालिक, साफ्टवेयर का अैडमिन (प्रशासक) तथा ऑडिटर को टैली के सभी विकल्प इस्तेमाल करने का अधिकार दिया जा सकता है। यह सभी पड़ाव, युजर आइडी तथा पासवर्ड के माध्यम से नियंत्रित किए जाते हैं।
व्यवसाय में टैली की शुरुआत
व्यवसाय में टैली की शुरुआत करने का यानि तकनीकी भाषा में कहे तो टैली इंस्टॉल करने का पहला पड़ाव है 'कंपनी' तैयार करना। व्यवहारिक रूप से कंपनी शब्द का अर्थ प्रा. लि. या पब्लिक लिमिटेड होता है। लेकिन टैली में 'कंपनी' संकल्पना मर्यादित अर्थ से इस्तेमाल होती है, अर्थात जिस संगणक या सर्वर पर अकाउंटिंग डाटा रखना हो उसके हार्डडिस्क के जिस विशिष्ट विभाग में व्यवसाय संबंधित जिस यूनिट की अकाउंटिंग एंट्री दर्ज करनी है उस विभाग का नाम, यानि उपयोगकर्ता ने उस विभाग को दी गई पहचान का मतलब है 'कंपनी'। संक्षेप में, टैली में कंपनी की संकल्पना किसी 'लीगल एंटिटी' के तौर पर नहीं इस्तेमाल होती बल्कि उपयोगकर्ता अकाउंटिंग एंट्री रखने हेतु व्यवसाय के जो विभिन्न हिस्से अर्थात यूनिट बनाता है, उस हर हिस्से को दिया गया नाम इस अर्थ से इस्तेमाल होती है। इस प्रकार, व्यवसाय का कानूनन स्वरूप प्रोप्राइटरशिप हो या पार्टनरशिप, व्यवसाय की टैली एंट्री में कई कंपनियां तैयार की जा सकती हैं। ऐसी प्रत्येक कंपनी के लिए अकाउंटिंग एंट्री अलग अलग रखी जा सकती हैं। व्यवसाय से संबंधित आर्थिक जानकारी उचित प्रकार से प्राप्त करने के उद्देश्य से किसी भी एक केंद्र (न्यूक्लियस) के आसपास हार्डडिस्क में अकाउंटिंग एंट्रीज इकट्ठा की जाती हैं। उस केंद्र को टैली की भाषा में कंपनी कहा जाता है।
 
अकाउंटिंग एंट्री में व्यवसाय के कितने और कैसे विभाग तैयार करने हैं, यह पूरी तरह उपयोगकर्ता का निर्णय होता है और, व्यवसाय की जरूरत के अनुसार उसे समय समय पर बदला भी जा सकता है। यानि पहले तैयार की हुई कंपनियों को एकत्रित (मर्ज) किया जा सकता है। इस प्रकार, टैली में बनाई नई कंपनी में पहले अलग होने वाली कंपनियों की एंट्रीज् इकट्ठा कर सकते हैं। साथ में किसी कंपनी की पहले एकत्रित होने वाली अकाउंटिंग एंट्रीज् को, टैली में नई अलग कंपनियां तैयार कर के उनमें विभाजित किया जा सकता है। छोटे व्यवसाय के लिए तो, पूरे व्यवसाय तथा सारे आर्थिक वर्षों के लिए टैली में एक ही कंपनी रखने का निर्णय उपयोगकर्ता ले सकता है। ऐसे समय, व्यवसाय का नाम ही टैली में कंपनी का नाम हो सकता है। इसी प्रकार पूरे व्यवसाय के लिए लेकिन हर आर्थिक वर्ष के लिए स्वतंत्र एंट्रीज् होने वाली अनेक कंपनियां रखने का निर्णय भी उपयोगकर्ता ले सकते हैं। एक ही व्यवसाय के हर डिविजन के लिए सभी आर्थिक वर्षों हेतु एक कंपनी, या प्रत्येक वर्ष के अनुसार अलग अलग कंपनियां हो सकती हैं। संक्षेप में, व्यवसायसंबंधि अकाउंटिंग रिपोर्ट किस पद्धति से पाना लाभदायक हो सकता है इस पर ध्यान दे कर अकाउंटिंग एंट्रीज् जिन विभिन्न विभागों में वर्गीकृत होती हैं, वे विभाग मतलब टैली की कंपनियां होती हैं।
 
एक ही उद्यमी के स्वामित्व में या प्रबंधन में होने वाले कारोबार की, टैली में स्थित विविध कंपनियों के रिपोर्ट एकत्रित पाने की सुविधा भी टैली में उपलब्ध है। यानि, डिविजन के अनुसार टैली में बनाई कंपनियों का और ये कंपनियां जिस लीगल एंटिटी की हिस्सा होती हैं, उसकी एकत्रित रिपोर्ट मिल सकती है। अर्थात पूरे कारोबार का एकत्रित आर्थिक चित्र, एक ही रिपोर्ट के रूप में, साफ्टवेयर में से ही सीधा उपलब्ध होता है, इसके लिए एक्सेल में अलग रिपोर्ट बनानी नहीं पड़ती। इस प्रकार, व्यवसाय का एकत्रित बैलन्स शीट तथा प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट टैली द्वारा कभी भी पाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए टैली में एक ग्रुप कंपनी तैयार करनी होती है और कंपनी में अन्य कंपनियों का एकत्रीकरण किया जा सकता है।
 
आर्थिक वर्ष समाप्त हो कर उस वर्ष के अंतिम (फाइनल) अकाउंट तैयार होने पर, पहले आर्थिक वर्ष के लिए कंपनी अकाउंटिंग एंट्रीज् का विभाजन (स्प्लिटिंग) कर के नई कंपनी साफ्टवेयर से तैयार की जा सकती है। पहली कंपनी के हर लेजर अकाउंट का शेष, नई कंपनी में उस अकाउंट की शुरुआती राशि (ओपनिंग बैलन्स) के रूप में अपनेआप दर्ज होता है। अर्थात जब तक पहले वर्ष का अकाउंट समाप्त हो कर बैलन्स शीट पर मालिक तथा ऑडिटर के हस्ताक्षर नहीं होते तब तक पहले वर्ष की कंपनी में ही नए वर्ष की अकाउंटिंग एंट्रीज् की जाती हैं और फिर उपर बताएनुसार नई कंपनी बनाई
जाती है।
 
व्यवसाय के अलग अलग डिविजन के लिए जब अलग अलग कंपनियां टैली में तैयार की जाती हैं तब इंटर कंपनी व्यवहार सभी कंपनियों में देखे जा सके इसलिए विभिन्न कंपनियोंसंबंधि डाटा सिंक्रोनाइज करने की सुविधा भी टैली में उपलब्ध है। इस सुविधा का लाभ ले कर डाटा एंट्री कि पुनरावृत्ति बचाई जा सकती है। साथ ही अधिक अचूक रिपोर्ट, सही समय पर (टाइमली) प्राप्त किए जा सकते हैं। हार्डवेयर में जैसे नेटवर्किंग द्वारा अनेक संगणक जोड़े जा सकते हैं, उसी प्रकार सिंक्रोनाइजेशन से टैली में तैयार की गई कंपनियों का नेटवर्किंग किया जा सकता है।
 
टैली में क्लाउड कंप्यूटिंग सुविधा उपलब्ध है। फिलहाल 'वर्क फ्रॉम होम' पद्धति में सुविधा हो या उद्योजक को टैली की जानकारी पर दूर से भी काम करना संभव हो, इसलिए ऐसा डाटा ऑफिस के सर्वर पर रखने के बजाय टैली क्लाउड पर रखा जा सकता है। ऐसे समय टैली में स्थित सभी कंपनियां, क्लाउड से अैक्सेस की जा सकती हैं।
अगले भाग में हम, टैली की अन्य महत्वपूर्ण संकल्पनाओं तथा कार्यपद्धतियों पर चर्चा करेंगे।
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