मैन्युअल और कैम प्रोग्रैमिंग

28 May 2021 10:37:24

पारंपरिक पद्धति में प्रोग्रैमिंग करते समय, संबंधि तज्ञ व्यक्ति को सभी कमांड बना कर मशीन को देनी पड़ती हैं। कैम प्रोग्रैमिंग में साफ्टवेयर को मूलभूत जानकारी दी जाने पर आगे का काम स्वचालित तरीके में हो कर, मशीन को अपेक्षित प्रोग्रैम दिया जाता है। जटिल तथा बहुअक्षीय यंत्रण की जरूरत होने वाले पुर्जों के लिए आवश्यक कैम प्रोग्रैमिंग की जानकारी दे कर, उसके लाभ बताने वाला लेख।
हम सब जानते हैं कि कैम (CAM) का मतलब है संगणक की मदद से उत्पादन (कंप्यूटर एडेड मैन्युफैक्चरिंग)। उसी प्रकार हालिया संदर्भ में जहाँ धातु यंत्रण की बात हो, वहाँ इसका उपयोग समानार्थ में यानि संगणक की सहायता से यंत्रण (कंप्यूटर एडेड मशीनिंग) में कर सकते हैं। आइए, पारंपरिक मैन्युअल NC प्रोग्रामिंग की तुलना में कैम प्रोग्रामिंग के लाभ जान लेते हैं और उस पर विस्तार में चर्चा एवं विचार करने से पहले, कैड/कैम का इतिहास समझ लेते हैं।
कैड/कैम का इतिहास 1960 से शुरू होता है। इस कालखंड़ में विभिन्न महाविद्यालयों, बड़े OEM और सुरक्षा प्रयोगशालाओं ने 2D दृश्य तैयार करने, जटिल गणितीय अल्गोरिदम के विश्लेषण तथा प्राथमिक सी.एन.सी. मशीन चलाने के लिए 2D NC टेप का निर्माण जैसे कामों की शुरुआत, मेनफ्रेम संगणक का इस्तेमाल कर के की। 60 के दशक के अंत एवं 70 के दशक की शुरुआत में कैड और कैम तकनीक को एकीकृत (इंटिग्रेटेड) दृष्टिकोण प्राप्त हुआ। 1980 के दशक की शुरुआत में विकसित किया गया मास्टरकैम जैसा साफ्टवेयर हमेशा एक एकीकृत कैड/कैम साफ्टवेयर बन कर रहा है। अर्थात अब हम उन प्रारंभिक बातों के बहुत आगे निकल आए हैं लेकिन बुनियादी मुद्दे आज भी उतने ही उपयुक्त हैं और अधिकांश नई तकनीक भी उन्हीं पर आधारित है।
कैड/कैम को ठीक से समझने के लिए उनका बंटवारा निम्नलिखित उपशीर्षकों में किया गया है।
2D कैड
• ब्योरेवार रेखाचित्र (ड्रॉइंग)
• आयोजन
3D कैड
• पुर्जे और उत्पाद के डिजाइन के लिए कैड
• मोल्ड टूल और इलेक्ट्रोड डिजाइन के लिए कैड
• बहु उद्देशीय असेंब्ली के लिए कैड
2.5 अक्ष कैम
• 2D प्रोफाइलिंग
• 2.5D यंत्रण (टर्निंग, मिलिंग, वायर इ.डी.एम.)
3 अक्ष कैम
• 3D प्रोफाइलिंग
• क्लिष्ट पृष्ठ/फिनिश यंत्रण
बहु अक्ष कैम
• ऐसे पुर्जे का यंत्रण, जिसमें 4 और उससे ज्यादा अक्ष जरूरी होते हैं।
पिछले बीस सालों में कैड/कैम प्रणाली में बहुत से बदलाव हुए हैं। इनमें से ज्यादातर बातें तेज गति की कंप्यूटिंग, अनुसंधान और विकास की कोशिशों के लिए की गई हैं। पहले की कैड/कैम प्रणालियां, केवल दो आयामी ज्यामिति बनाने और संपादित करने तक ही सीमित थी और उनमें अन्य किसी भी बात के बजाय, स्वचालन में (ड्रॉइंग तैयार करते वक्त) सुधार करने की संकल्पना महत्वपूर्ण थी। पहले दिनों में पुर्जों के डिजाइन और निर्माण में कुछ हफ्ते लगते थे। अब ये काम कुछ दिन, घंटों में भी नहीं बल्कि कुछ मिनटों में भी किया जा सकता है। पहले 2D तकनीक पर ज्यादा जोर दिया जाता था। उसकी तुलना में अब कैम द्वारा, आसान तथा जटिल 3D और बहुअक्षीय यंत्रण भी संभाला जा सकता है। टर्निंग, मिलिंग, ग्राइंडिंग, वायर इ.डी.एम., स्विस टर्निंग, लेसर कटिंग जैसी उत्पादन प्रक्रियाओं की कई कार्यपद्धतियां अब कैम साफ्टवेयर के जरिए आसानी से प्रोग्रैम की जा सकती हैं।
कैड की तुलना में कैम/NC प्रोग्रैम, मशीन टूल चलाने के लिए आवश्यक आउटपुट होने की वजह से उसे बनाने हेतु कैम को काफी जानकारी देनी पड़ती है। कटिंग टूल, मटीरीयल, मशीन डेटा जैसे पैरामीटर उसमें अनिवार्य होते हैं।
मैन्युअल और कैम प्रोग्रैमिंग
पहले हम हर संज्ञा का मतलब समझ लेंगे।

मैन्युअल प्रोग्रैमिंग : यंत्रण प्रोफाइल, परिमाण और पुर्जों का अपेक्षित टॉलरन्स प्राप्त करने के लिए, सी.एन.सी. मशीन चलाने की आसान निर्देशों का सेट (G और M कोड) हाथ से लिखने का पारंपरिक तरीका।

कैम प्रोग्रैमिंग : यंत्रण प्रोफाइल, परिमाण और पुर्जों का अपेक्षित टॉलरन्स प्राप्त करने के लिए, सी.एन.सी. मशीन चलाने का आसान से ले कर अत्यंत मुश्किल निर्देशों का सेट (G और M कोड, मैक्रो, विशेष रूटीन, ट्रांस्फॉर्मेशन आदि) एक विशेष साफ्टवेयर द्वारा निर्माण करने का आधुनिक तरीका।
जब तक कैड/कैम प्रणाली ज्यादा चलन में नहीं आई थी तब तक मैन्युअल प्रोग्रैमिंग ही, प्रोग्रैमिंग करने का सामान्य तरीका था। आज भी कई जगह मैन्युअल प्रोग्रैमिंग का तरीका ही इस्तेमाल किया जाता है। यह तरीका आसान है और किसी होशियार इंजीनीयर या तकनीशियन को आसान प्रोग्रैम लिखने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। प्रिज्मैटिक पुर्जों के यंत्रण में, दीर्घ काल तक उत्पादन चलाने और कारखाने में इष्टतमीकरण (ऑप्टिमाइजेशन) करने के लिए यह तरीका अत्यंत उपयुक्त है।
कैम प्रोग्रैमिंग यह अब प्रोग्रैमिंग का, खास कर के जटिल पुर्जों का यंत्रण करते वक्त, अनिवार्य (डीफैक्टो) तरीका बन गया है। ऐसा होने के लिए विभिन्न घटकों का योगदान महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, किफायती सी.एन.सी. मशीन और साफ्टवेयर, प्रोग्रैमिंग की बढ़ती गति, प्रक्रिया में सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता, सी.एन.सी. मशीन और साफ्टवेयर में लगाई गई पूंजी पर बढ़ता प्रतिफल।
मैन्युअल और कैम प्रोग्रैमिंग के कुछ उदाहरण
1. 2D में ज्यामितीय आकार और परिमाणों के मापन
अ. कैड/कैम : साफ्टवेयर में उपलब्ध ड्रॉइंग टूल के इस्तेमाल से शीघ्र चित्रण या कैड फाइल को आयात करना।
ब. मैन्युअल : हाथ से प्रत्यक्ष प्रोफाइल निकालना या छपे हुए ड्रॉइंग का संदर्भ लेना।

1jasjs_1  H x W 
 
2. कार्यवस्तु सेटअप करना। इसमें कच्चे माल का स्टॉक, पकड़ने के उपकरण जैसी बातों के विवरण शामिल होते हैं।
अ. कैड/कैम : ड्रैग और ड्रॉप करने के लिए ग्राफिक टूल का इस्तेमाल या संरेखित (अलाइन) करने के लिए क्लिक करना।
ब. मैन्युअल : वर्चुअल डेटा और संदर्भ बिंदु का स्थान तय करने के लिए ड्रॉइंग के संदर्भ का इस्तेमाल करना।

maksjdbyd_1  H  
 
3. टर्निंग प्रोफाइल का चुनाव करना।
अ. कैड/कैम : वक्र रेखा का चुनाव करने के लिए शीघ्र जोड़ (चेनिंग)
ब. मैन्युअल : रैखिक (लीनियर) या अरीय (रेडियल) चाल, परिमाण और 2D सहनिर्देशक बिंदु में ड्रॉइंग का रूपांतरण।

ienddgs_1  H x  
 
4. टूल का चुनाव और मटीरीयल का यंत्रण करने की योजना। प्रोग्रैम के द्वारा उपयोगकर्ता जरूरी सरकन गति, यंत्रण गति, काट की गहराई, प्रवेश और वापसी की चाल की दूरियां, सुरक्षित दूरी आदि तय कर सकता है।
अ. कैड/कैम : GUI में से योजना का चुनाव तथा उसे इस्तेमाल में लाना।
ब. मैन्युअल : गणित द्वारा कोड की प्रत्येक लाइन का गणन कर के उसे लिखना।

msdfh_1  H x W:
 
5. उपलब्ध स्टॉक, गाउज आदि के साथ ही, क्या टूल होल्डर टकराएगा यह जांचने के लिए निर्माण किए गए प्रोग्रैम का सिम्यूलेशन करना।
अ. कैड/कैम : एक क्लिक द्वारा सिम्यूलेशन
ब. मैन्युअल : संभव नहीं
 

majsuebd_1  H x 
6. जांच होने के बाद NC कोड का निर्माण तुरंत किया जा सकता है।
अ. कैड/कैम : सटीक और जांचे हुए नतीजे। तत्काल और पहले के ऑपरेशन का परिणाम।
ब. मैन्युअल : कोई भी जांच नहीं, टेक्स्ट हाथ से लिखा होने के कारण गलतियां हो सकती हैं। लंबी प्रक्रिया।

makshyr_1  H x

कैम प्रोग्रैमिंग के इस्तेमाल की जरूरत
• नियंत्रक पर मैन्युअल प्रोग्रैम लिखने के लिए कुशल प्रोग्रैमर या मशीन ऑपरेटर को ढूंढ़ना मुश्किल होता जा रहा है।
• कई बार, अत्यंत आसान ऑपरेशन के लिए G कोड के सैंकड़ों चरणों का निर्माण करना पड़ता है। ऐसा करते समय सभी आवश्यक सरकन गति/यंत्रण गति, शीतक को चालू या बंद करना, टूल बदलना, यंत्रण का मूल्य और काट की गहराई, टूल अग्र की वक्रता की छूट (अलाउन्स) और क्लियरन्स की गणना, मैन्युअल प्रोग्रैम में प्रोग्रैमर को खुद करनी पड़ती है। इसमें गलतियां होने की संभावना ज्यादा रहती है।
• रफिंग ऑपरेशन में अनेक पास के प्रोग्रैम करना जरूरी होता है। हरएक स्तर के लिए स्वतंत्र सूचना लिखना जरूरी होता है, ऑफसेट और ज्यामिति की गणना, खुद या ग्राफिक टूल के इस्तेमाल से करना जरूरी होता है और मुख्य बात यह है कि पहले ऑपरेशन के बाद बचने वाले मटीरियल का अनुमान लगाना पड़ता है।
• मैन्युअल प्रोग्रैम में हुई टाइपिंग की एक भूल से भी, सी.एन.सी. मशीन पर बड़ी भीषण दुर्घटना हो सकती है।
• जब अधिक महंगी सी.एन.सी. मशीन यंत्रण के कोई काम के बिना निष्क्रिय हो, तो कुशल प्रोग्रैमर या यंत्रचालक जैसे महंगे संसाधनों का उपयोग NC प्रोग्रैम को हाथ से लिखने हेतु करना बिल्कुल अच्छी योजना नहीं है!
मैन्युअल प्रोग्रैमिंग की तुलना में कैम प्रोग्रैमिंग के फायदे
• कैम के इस्तेमाल से मशीन पर कार्यवस्तु का अंतिम आकार बनाने, टूलिंग की सूचि और टूल पैरामीटर प्रविष्ट करने, मशीन को ज्ञात शुरुआती बिंदु पर सेट करने जैसे काम हम आसानी से कर सकते हैं। मशीन चालू करना, उचित स्पिंडल गति सेट करना, अनुकूल टूल मार्गों की गणना करना और मशीन पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी हजारों लाइनों के G कोड का निर्माण, इन सबकी जिम्मेदारी और चिंता साफ्टवेयर करता है।
 
• कैम साफ्टवेयर में विविध अनुभवों से प्राप्त ज्ञान शामिल होने के कारण प्रोग्रैमिंग बेहद तेज गति से और सटीकता से की जाती है। कैम द्वारा प्रमाणित प्रोग्रैम की सुनिश्चितता के कारण, ऑपरेटर द्वारा हस्तक्षेप की और उसके जरिए मानवीय गलतियां होने की संभावना ना के बराबर होती है।
 
• कंप्यूटिंग किए हुए कैम प्रोग्रैम का साफ्टवेयर में सिम्यूलेशन किया जा सकता है। सी.एन.सी. मशीन पर प्रत्यक्ष पुर्जों का उत्पादन करने से पहले कुछ सुधार या बदलाव करना इससे संभव होता है। इससे सेटअप में जाने वाले समय में कमी आती है, स्क्रैप कम होता है और दुर्घटना को टाला जा सकता है।
• कैम प्रणाली, पुनरावृत्ति के द्वारा, टूल मार्ग में सुधार और यंत्रण का अनुक्रम सक्षम करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सबसे इष्टतम तरीके का चुनाव होगा और यंत्रण के लिए आवश्यक प्रत्यक्ष समय अपेक्षित समय जितना ही होगा।
• इसमें ऐसे प्रोग्रैम बनाने की क्षमता होती है जो मैन्युअल प्रोग्रैमिंग द्वारा बनाना व्यवहारिक तौर पर असंभव होता है।
• टूल मार्ग का गणन बहुत कम समय में होता है और यंत्रण के लिए आवश्यक समय का जल्द और अचूक अनुमान मिलता है।
• यंत्रण प्रक्रिया के दौरान टूल का परिवेश में होने वाला संचलन (रैपिड) कम से कम होने के कारण पूरी मशीन की कार्यकुशलता बढ़ती है।
• टूल मार्ग बनाने के लिए अनेक विकल्प उपलब्ध होने के कारण जटिल प्रोग्रैमिंग भी आसान हो जाती है।
• गाउज और टकराव से बचने के लिए 3D टूल मार्ग और मशीन सिम्यूलेशन।
• कैड/कैम प्रक्रिया के इस्तेमाल से परियोजना और दस्तावेज प्रबंधन आसान हो जाता है।
• कैड/कैम साफ्टवेयर का प्रशिक्षण अब सभी जगह प्रचलन में है, इसे ध्यान में रखते हुए यंत्रण के काम बड़े पैमाने पर बढ़ा कर अगले स्तर पर ले जा सकते हैं।
Powered By Sangraha 9.0