उत्पादित वस्तुओं के लिए IoT

14 Jul 2021 12:51:48
समय के साथ बदलती आवश्यकताओं के अनुसार व्यवसाय में परिवर्तन करने से ही प्रतिस्पर्धा में बने रहना संभव होता है। इंडस्ट्री 4.0 और IoT जैसी नई संकल्पनाएं अपना कर भारतीय उद्योग तरक्की कर रहे हैं। अपनी उत्पादन प्रक्रिया तथा उत्पाद भी स्मार्ट बनाने हेतु आवश्यक चरणों का इस्तेमाल किर्लोस्कर और महिंद्रा ने किस प्रकार किया है, यह इस लेख में बताया गया है। यहाँ यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन नई संकल्पनाओं पर अमल करना, भारतीय लघु या मध्यम उद्योगों के लिए भी असंभव नहीं है।

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इंडस्ट्री 4.0 और IoT की इस लेख शृंखला के अंतर्गत प्रकाशित लेखों में, हमने इंडस्ट्री 4.0 और IoT की संकल्पना देखी है। यांत्रिकी उद्योगों के लिए उनकी आवश्यकता को समझा है और उन संकल्पनाओं पर अमल करने के लिए उपयुक्त मार्गदर्शक मुद्दों का भी अभ्यास किया है। अब आने वाले लेखों में हम, वास्तविक उदाहरणों की सहायता से, इंडस्ट्री 4.0 तथा औद्योगिक IoT के बारे में अधिक चर्चा करेंगे। हमारी यही कोशिश रहेगी कि ये उदाहरण भारतीय उद्योगों से हो और उनमें से बड़ी संख्या में होने वाले स्थानीय लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रेरणा मिले।
हमने यह भी देखा कि किसी उद्योग में IoT का इस्तेमाल दो आघाड़ियों पर किया जा सकता है। पहली, उत्पादित वस्तुओं को ज्यादा से ज्यादा आधुनिक बनाने के लिए (स्मार्ट प्रोडक्ट) और दूसरी उत्पादन प्रक्रिया को अधिक किफायती बनाने के लिए (स्मार्ट प्रोडक्शन)। इस लेख में हम स्मार्ट प्रोडक्ट के दो उदाहरण देखेंगे।
उत्पादित वस्तुओं के लिए IoT
(यानि स्मार्ट प्रोडक्ट)
 
इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार स्मार्ट प्रोडक्ट के लिए सुझाए गए 6 मार्गदर्शक तत्वों को हमने विस्तार से देखा है।
1. सेन्सर अैक्चुएटर का समावेश।
2. संदेशवहन और संपर्कक्षमता।
3. जानकारी का आदानप्रदान और भंड़ारण।
4. निरीक्षण-निदान-अनुमान क्षमता।
5. पूरक जानकारी पर आधारित सेवा।
6. व्यवसाय के विभिन्न प्रारूप।
आसान शब्दों में बताया जाए तो इन तत्वों के अनुसार किसी उत्पाद (प्रोडक्ट) को IoT तकनीक के द्वारा आधुनिक बनाने का मतलब है,
1. सबसे पहले उसे स्मार्ट बनाना।
2. उसके बाद उसे बाहरी दुनिया से जोड़ना।
3. उससे तैयार होने वाली जानकारी की जांच कर के उसका प्रभावी इस्तेमाल करना।
4. इस जानकारी के सहारे, व्यवसाय करने के नए विकल्पों पर अमल करना।
अब हम देखेंगे कि इन चार चरणों का इस्तेमाल किर्लोस्कर और महिंद्रा जैसे भारतीय उद्योगों ने अपने उत्पादों में किस प्रकार किया है। इनमें से एक उत्पाद स्थिर औद्योगिक मशीन के रूप में है, तो दूसरा संचार करने वाले बहुपयोगी वाहन के रूप में है।

किर्लोस्कर का IoT जनसेट
किर्लोस्कर उद्यम समूह के ऑईल इंजन विभाग (KOEL) का एक उत्पाद, विद्युत जनरेटर सेट कई सालों से भारत तथा अन्य कई देशों में इस्तेमाल हो रहा है और यह कुछ गिनेचुने अग्रणी जनसेट विकल्पों में से एक है। डीजल इंजन की सहायता से चलाया जाने वाला जनरेटर और उससे तैयार होने वाली बिजली के नियंत्रण के लिए जरूरी यंत्रणा, इतना ही इस जनसेट का स्वरूप कई सालों तक था। अधिकतम संवेदक (सेन्सर) और संदेशवाहक यंत्रणा शामिल कर के अब इसमें किर्लोस्कर रिमोट मॉनिटरिंग (KRM) यानि दूरस्थ निरीक्षण प्रणाली विकसित की गई है। ऊपर दिए गए चरणों के संदर्भ में हम इस IoT जनसेट की जानकारी हासिल करेंगे।

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चित्र क्र. 1 : किर्लोस्कर IoT जनसेट और उसकी परिसंस्था
 
 
1. स्मार्ट जनसेट
जनसेट के उचित नियंत्रण के लिए कुछ संवेदक पहले से ही उपलब्ध थे। उनमें मुख्य रूप से तैयार होने वाली बिजली की बारंबारता (फ्रीक्वेंसी, Hz में), पॉवर (वोल्टेज V और करंट A में), पॉवर फैक्टर (PF), इंजन की गति (RPM) का समावेश था। जनसेट को ज्यादा स्मार्ट बनाने के लिए और उसका निरीक्षण दूर से ही अच्छे से करने के लिए उसमें कुछ और संवेदकों का इस्तेमाल किया गया। जनसेट का ईंधन का भंड़ार, इंजन के ऑईल का तापमान और दबाव (प्रेशर), जनसेट के मुख्य दरवाजे की स्थिति (चालू/बंद), जनसेट चालू/बंद होने का पंजीकरण जैसी कई महत्वपूर्ण बातों की प्रविष्टि ये संवेदक करने लगे। इससे जनसेट सही में स्मार्ट हुआ और हर पल मनचाही जानकारी देने में सक्षम हो गया।
 
 
2. स्मार्ट और कनेक्टेड जनसेट
IoT की दिशा में अगला चरण है स्मार्ट उत्पादन को बाहरी दुनिया से जोड़ना। किर्लोस्कर के इस स्मार्ट जनसेट को दुनिया से जोड़ने के लिए उसमें ऐसी यंत्रणा लगाई गई है कि GSM (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल) या इथरनेट के माध्यम से संदेशवहन हो सके। तकनीकी भाषा में उसे IoT गेटवे कहते हैं। यह गेटवे जनसेट को विभिन्न संवेदकों द्वारा प्राप्त जानकारी को इकठ्ठा कर के, नियमित कालावधि के बाद किर्लोस्कर कंपनी के मुख्य सर्वर को भेजता है। उसी प्रकार सर्वर की तरफ से भेजी जाने वाली कोई सूचना, जनसेट के उचित हिस्से तक पहुंचाता है। जिस प्रकार जनसेट को सर्वर से जोड़ा गया है, उसी प्रकार उसके उपयोगकर्ता और किर्लोस्कर के तकनीशियन भी मोबाइल अैप के माध्यम से प्रमुख सर्वर से जुड़े हैं। संक्षेप में, जनसेट और संबंधित सभी व्यक्ति एवं संगठन, इंटरनेट के माध्यम से जोड़े गए हैं।
 
 
3. कनेक्टेड जनसेट से उचित जानकारी तक
IoT गेटवे और मोबाइल अैप के माध्यम से जनसेट, उसके ग्राहक, किर्लोस्कर का प्रमुख सर्वर और किर्लोस्कर कंपनी के तकनीशियन सभी एक विशाल नेटवर्क का हिस्सा बन (चित्र क्र. 1) गए। इसके कारण जनसेट के बारे में सभी जानकारी एक पल में सर्वर और सभी मोबाइल अैप धारकों को उपलब्ध हो गई। इससे जनसेट का दूर से निरीक्षण करना संभव हुआ। जनसेट का इस्तेमाल कितने घंटे हुआ, उससे तैयार होने वाली बिजली, जनसेट के ईंधन तथा ऑईल की स्थिति आदि सभी उपयुक्त जानकारी का अब निरंतर प्रतिवेदन होता है। घटित या होने वाली किसी भी महत्वपूर्ण घटना की सूचना (अैलर्ट) मिलती है। उदाहरण के लिए ईंधन का कम होता स्तर, ऑईल का बढ़ता तापमान, पैमाने के बाहर होने वाले जनसेट के कंपन या जनसेट के काम में बेवजह हस्तक्षेप होने जैसी अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं की समय पर सूचना और पंजीकरण किया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि बिजली की सामान्य आपूर्ति खंडित होने पर, तत्काल जनसेट शुरू हो कर मांग के अनुसार बिजली की आपूर्ति करने वाली यंत्रणा स्वचालित रूप से काम करती है।
 
 
4. व्यावसायिक लाभ
IoT युक्त इस अत्याधुनिक जनसेट से, किर्लोस्कर के जनसेट व्यवसाय में अनेक नए मौके निर्माण हुए। जनसेट का रखरखाव अधिक आसान और कार्यकुशल हो गया। हो गई या होने वाली खराबियों की पूरी कल्पना समय पर मिलती रहने से कमियों को ढूंढ़ना और उनकी मरम्मत करना आसान हो गया। जनसेट का इस्तेमाल कैसे होता है इसका अभ्यास करना संभव होने से उसकी वारंटी के बारे में उठे सवालों का जवाब देना कंपनी के लिए आसान हो गया। इससे कंपनी के खर्चे में काफी कमी आई और ग्राहक संपर्क प्रभावी हो गया। कुल मिला कर जनसेट यह केवल बेचने वाली चीज ना रह कर, ग्राहक को अखंडित और कार्यकुशलता से बिजली की आपूर्ति करने वाली एक सेवा बन गई। इस सेवाकेंद्रित व्यवसाय के प्रारूप से इस्तेमाल करने वाले ग्राहक, बिक्रीपश्चात सेवा देने वाले आपूर्तिकर्ता और जनसेट के निर्माता किर्लोस्कर, सभी को लाभ हुआ।
 
 
महिंद्रा का नोवो ट्रैक्टर और डिजिसेन्स
ट्रैक्टर और कृषिसंबंधि मशीनों में महिंद्रा केवल भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में एक बड़ा नाम है। भारत के कृषि क्षेत्र के बारे में सोचा जाए तो अल्प जमीन वाले किसान, कम उत्पादनक्षमता, किसानों की कम क्रयशक्ति और अनिश्चित कृषि बाजार जैसे घटकों की वजह से भारतीय खेती के लिए अत्यंत कम कीमत में अधिकतम सुविधाएं देने वाले ट्रैक्टर का निर्माण करना बेहद जरूरी था। इस चुनौती को स्वीकार कर के महिंद्रा, टाफे, एस्कॉर्ट, सोनालिका जैसी कई भारतीय कंपनियों ने नई तकनीकों से युक्त ट्रैक्टरों का निर्माण ग्राहकों के लिए किया है। इनमें से भी सबसे ज्यादा उल्लेखनीय है, महिंद्रा की 'डिजिसेन्स' टेलीमैटिक्स सुविधा और उसका 'नोवो' ट्रैक्टर मॉडल में किया गया सफल इस्तेमाल।
 
 
हमने यह देखा ही है कि टेलीमैटिक्स IoT की तकनीक उत्पादन उद्योगों की तरह ही परिवहन, आपूर्ति शृंखला, स्वास्थ्य, प्रशासन, रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं जैसे अनेक क्षेत्रों में इस्तेमाल की जाती है। जब इसी तकनीक का इस्तेमाल वाहनों में होता है, तब उसे टेलीमैटिक्स कहा जाता है। कार, बस, ट्रक, ट्रैक्टर, बुलडोजर जैसे भारी वाहन, रेलगाड़ी, जहाज जैसे विभिन्न वाहनों के सभी महत्वपूर्ण घटकों के लिए संवेदक बिठाना, उनसे निर्माण होने वाली जानकारी को दूरस्थ सर्वर को भेजना और इसके द्वारा उस वाहन को इंटरनेट और विभिन्न प्रकार के ग्राहकों से जोड़ कर रखना टेलीमैटिक्स में अपेक्षित होता है। ऐसा करने से उस वाहन की स्थिति और स्थान की निगरानी दूर से करना संभव होता है। किसी वाहन का अन्य वाहनों, मशीनों या इन्सानों से सीधा संपर्क संभव होता है और इसमें से ही नई सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं।
 
 
इन्हें किसी महंगी कार में इस्तेमाल करना तो समझ में आता है, लेकिन उसे ही ट्रैक्टर जैसे कम कीमत के और कई कामों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन में शामिल करना काफी चुनौतिपूर्ण होता है और इसी लिए यह उल्लेखनीय भी है। नीचे दिए गए चार मुद्दों से हम महिंद्रा के नोवो ट्रैक्टर की IoT/ टेलीमैटिक्स तकनीक की समीक्षा करेंगे।
 
 
1. ट्रैक्टर से स्मार्ट ट्रैक्टर तक
ज्यादातर भारतीय ट्रैक्टर पूरी तरह से यांत्रिकी होते हैं, यानि इनमें कोई भी संवेदक या माइक्रोप्रोसेसर/नियंत्रक (कंट्रोलर) शामिल नहीं होते। नोवो ट्रैक्टर में लगभग 10 से 15 नए संवेदकों का इस्तेमाल किया गया है। इंजन की गति, ऑईल का तापमान और स्तर, ईंधन का स्तर, गियर की स्थिति, क्लच पेडल और ब्रेक पेडल की स्थिति, हैड्रोलिक ऑईल का प्रेशर, चालक की उपस्थिति, ट्रैक्टर की गति तथा GPS के अनुसार उसका स्थान जैसी सभी महत्वपूर्ण बातों के लिए संवेदक बिठा कर उनकी अचूक जानकारी हासिल की जाती है। इस जानकारी का उपयोग इंजन या किसी भी महत्वपूर्ण यंत्रणा के नियंत्रण में तो होता ही है, साथ ही इसका इस्तेमाल प्रमुख रूप से दूर से निरीक्षण (रिमोट मॉनिटरिंग) करने के लिए किया जाता है।
 
 
2. स्मार्ट और कनेक्टेड ट्रैक्टर
प्रत्येक ट्रैक्टर में एक बिना तार का संदेशवाहक (टेलीमैटिक गेटवे) होता है, जो संवेदक से प्राप्त जानकारी को सिम कार्ड के माध्यम से महिंद्रा के दूरस्थ केंद्रीय सर्वर को भेजता है। उसी समय, डिजिसेन्स अैप के माध्यम से ट्रैक्टर के उपयोगकर्ता (मालिक, चालक), वितरक और महिंद्रा का तकनीकी समूह जैसे सभी घटक जुड़े होते हैं। यही वजह है कि किसी भी नोवो ट्रैक्टर की अत्याधुनिक जानकारी उससे संबंधित सभी व्यक्तियों को मिलती है।
 
 
3. जानकारी का इस्तेमाल (डिजिसेन्स अैप)
ऊपर दी गई सभी जानकारी ट्रैक्टर के मालिक को और चुनिंदा जानकारी वितरक तथा बिक्रीपश्चात सेवा आपूर्तिकर्ता को मिलती रहती है। ट्रैक्टर का GPS स्थान और उसकी स्थिति (चालू/बंद, स्थिर/चलता हुआ ऐसे स्वरूप में) पता चलने से मालिक यह जान पाता है कि उसके ट्रैक्टर का इस्तेमाल कहां और कैसे हो रहा है। जिओ फेन्सिंग जैसी सुविधा के कारण ट्रैक्टर अगर निर्धारित क्षेत्र से बाहर गया तो उसकी सूचना भी मालिक को मिलती है। ईंधन, ऑईल आदि चीजें बदलना, ट्रैक्टर का नियमित रखरखाव आदि के बारे में भी मालिक और सेवा आपूर्तिकर्ता दोनों को पूर्वसूचना मिलती है। यह सभी चीजें मोबाइल फोन पर आसानी से उपलब्ध डिजिसेन्स अैप द्वारा होने के कारण, कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ ग्राहक भी अपने ट्रैक्टर की देखभाल कभी भी, कहीं से भी कर सकते हैं।
 
 
4. व्यावसायिक लाभ
स्मार्ट नोवो ट्रैक्टर और डिजिसेन्स अैप के कारण महिंद्रा ट्रैक्टर केवल एक बिक्री की चीज नहीं रह गई है बल्कि उसे अन्य माध्यमों द्वारा भी ग्राहकों तक पहुंचाया जा सकता है। इसका एक बड़ा उदाहरण है, मांग के अनुसार ट्रैक्टर किराए पर देने वाली महिंद्रा की नई सेवा 'ट्रिंगो'। इस सेवा से ग्राहक अपनी आवश्यकतानुसार ट्रैक्टर, औजार और चालक किराए पर ले सकता है। यह सुविधा छोटे किसानों और महिंद्रा, दोनों के लिए फायदेमंद है। किराए पर दिए ट्रैक्टर का रखरखाव दूर से करना केवल टेलीमैटिक्स के कारण ही संभव हुआ है। इस ट्रिंगो सुविधा के अतिरिक्त, खरीदे गए ट्रैक्टर के लिए भी डिजिसेन्स उपयोगी है। ट्रैक्टर कहाँ है और वह कैसे इस्तेमाल किया जाता है यह देखना संभव होने से, कई लोग एक से अधिक ट्रैक्टर खरीद कर दूसरों को किराए पर दे पाते हैं। इसी वजह से केवल खेती के लिए ही नहीं बल्कि भवन-निर्माण, कारखाने, माल ढ़ोने जैसे कामों में भी किराए के इन ट्रैक्टरों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होने लगा (चित्र क्र. 2) है।


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चित्र क्र. 2 : महिंद्रा नोवो ट्रैक्टर, डिजिसेन्स और उसकी परिसंस्था
 
 
तीसरी उल्लेखनीय बात यह है कि महिंद्रा ने डिजिसेन्स अैप को केवल ट्रैक्टर के लिए ही नहीं बल्कि कार और ट्रक के लिए भी विकसित किया है और कुल मिला कर सभी वाहनों का प्रबंधन एक ही अैप में से किया गया है। इसका एक फायदा यह है कि एक ही प्रकार के वाहन क्षेत्र में किए जाने वाले सुधार और नई तकनीकों का अनुकरण, अन्य वाहन क्षेत्रों में करना महिंद्रा के लिए आसान बन गया है। IoT और टेलीमैटिक्स जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र में नई तकनीक आई हैं और आगे जा कर उनकी वजह से क्रांतिकारक बदलाव होगे इसमें कोई संदेह नहीं है।
उपर देखे गए दोनों उदाहरणों का, इंडस्ट्री 4.0 के मार्गदर्शक तत्वों के अनुसार संक्षेप में मूल्यांकन करना यहाँ उद्बोधक साबित होगा।
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तालिका क्र. 1 : किर्लोस्कर IoT जनसेट : मार्गदर्शक तत्वों के अनुसार मूल्यांकन
 
 
तालिका क्र. 1 में दिखाएनुसार किर्लोस्कर IoT जनसेट, तकनीकी मापदंड़ों के आधार पर काफी आगे (चौथे/पांचवे स्तर पर) है। लेकिन उपलब्ध सेवा और व्यवसाय के प्रारूप के मापदंड़ों पर तुलनात्मक रूप से सीमित तौर पर ही आगे है। इस तुलना में महिंद्रा नोवो ट्रैक्टर और उसकी डिजिसेन्स सुविधा का विकास थोडा अलग (तालिका क्र. 2) है। तकनीकी मामलों में भारतीय कृषि क्षेत्र के अनुसार, सीमित स्तर तक आवश्यकतानुसार सुधार करने के बावजूद भी सेवा और व्यवसाय प्रारूप के मामले में कंपनी आक्रमक रूप से आगे आई है। संक्षेप में, हमारा उत्पादन इंडस्ट्री 4.0 की दिशा में पूरी तरह आधुनिक करना हो, तो तकनीकी और व्यावसायिक दोनों आघाड़ियों पर विकास करना जरूरी है।

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तालिका क्र. 2 : महिंद्रा का नोवो ट्रैक्टर और डिजिसेन्स :
 
 
मार्गदर्शक तत्वों के अनुसार मूल्यांकन
इस तरह हमने देखा कि IoT तकनीक का उत्पादित वस्तुओं में उचित इस्तेमाल कैसे किया गया है। हमने यह भी देखा कि IoT पर आधारित स्मार्ट प्रोडक्ट के कारण उस व्यवसाय क्षेत्र में दूरगामी परिवर्तन हो सकते हैं और उस वस्तु के ग्राहक (मालिक एवं उपयोगकर्ता), वितरक, सेवा आपूर्तिकर्ता और उत्पादकों की इस शृंखला में सबको एकत्रित कर के एक आधुनिक व्यवस्था किस प्रकार तैयार होती है। जो काम किर्लोस्कर और महिंद्रा जैसे बड़े भारतीय उद्योगों ने अपने उत्पादों में किया है, वही लघु या मध्यम भारतीय उद्योगों के लिए करना असंभव नहीं है। बस जरूरत है अपने कारोबार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखने की और उसी के हिसाब से अपने उत्पादों में आवश्यक बदलाव करने की, उसके लिए IoT के सही इस्तेमाल की योजना बनाने की और उसी के अनुसार कदम-दर-कदम आगे बढ़ने की!
अगले लेख में हम यह समीक्षा जारी रखेंगे और उत्पादन प्रक्रिया के विषय में ऐसे ही कुछ सफल भारतीय उदाहरण देखेंगे।
 
 
 
हृषीकेश बर्वे आइ.आइ.टी. मुंबई से इन्स्ट्रुमेंटेशन, सिस्टम एवं कंट्रोल में एम. टेक. कर चुके हैं।
आपको कंट्रोल सिस्टम, ऑटोमेशन, मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम तथा ऊर्जा व्यवस्थापन जैसे क्षेत्रों संबंधि अनुसंधान एवं निर्माण में 12 सालों का अनुभव है।
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