संपादकीय

17 Aug 2021 14:39:51

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पिछले ड़ेढ़ वर्ष में वैश्विक कार्यसंस्कृति में मूलभूत परिवर्तन हो गए हैं। फिलहाल प्राप्त होती खबरों के अनुसार यह भी स्पष्ट हो रहा है कि पूरी दुनिया को अपने चपेट में लेने वाली कोविड महामारी का प्रभाव और भी कई महीनों तक रहने वाला है। इन सभी परिवर्तनों में उत्पादन क्षेत्र की कंपनियों ने विभिन्न नीतियां, भूमिकाएं एवं पद्धतियों पर अमल कर के यह आश्वस्त करने का प्रयास किया है कि निर्माण पर कम से कम असर हो।
उत्पादों की गुणवत्ता और संख्या को अपेक्षित स्तर पर बनाए रखने में अहम् घटक होता है, कारखाने में काम करने वाला व्यक्ति। कोविड के कारण हुए कुशल कर्मचारियों के स्थानांतरण से उन्हें कारखानों में टिकाए रखने की चुनौती के बारे में, कई उद्यमियों ने हमसे हुई चर्चा के दौरान चिंता व्यक्त की। इस समस्या का समाधान पाने के लिए, मानव संसाधन तज्ज्ञ 4 घटकों पर प्राथमिकता से विचार करते हैं।
 
 
• काम की गुणवत्ता : उत्पादन क्षेत्र की ओर का ‘3D’ (डार्क, डेंजरस, डर्टी) यह आम पारंपरिक दृष्टिकोण बदल कर, निर्माण का विचार ‘4C’ (कूल, चैलेंजिंग, क्रिएटिव, कटिंग एज) इस रूप में किया जाना चाहिए।
कार्यसंस्कृति : कारखाने के हर कर्मचारी को लगना चाहिए कि वहाँ उसे उचित सम्मान दिया जाता है।
समग्र विचार : कारखाने में स्थापित मानवीय संसाधनसंबंधि व्यवस्था और निर्माण के लिए आवश्यक अन्य सभी घटकों के बीच उचित संतुलन होना चाहिए।
जीविका यानि करियर का मार्ग : अपने हर कर्मचारी के लिए करियर में तरक्की करने हेतु पूरक परिवेश तथा मौके उपलब्ध कराना।
 
इन 4 मुद्दों के संदर्भ में देखा जा सकता है कि हमारे लघु एवं मध्यम उद्यमी, मिले हुए ऑर्डर उचित गुणवत्ता के साथ समय पर पूरे करने की मूलभूत जिम्मेदारी निभाने की कोशिश कर रहे हैं। कुशल कर्मियों की अनुपलब्धि के कारण, विविध प्रकार के अतिरिक्त काम उपलब्ध कर्मचारियों द्वारा करवाने और कुशल कर्मियों की खोज निरंतर चलाने में ही उद्यमियों की शक्ति खर्च होती रहती है। इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव, सभी की मानसिकता पर और फलस्वरूप कारखानों की उत्पादकता पर पड़ता है।
 
 
इस स्थिति से बाहर निकलने का एक प्रभावशाली मार्ग है अपने कर्मचारियों में योग्य निवेश (प्रशिक्षा, सम्मान और प्रतिबद्धता) कर के, कुशल कर्मचारियों का एक बढ़ता प्रवाह निर्माण करना। इससे कर्मचारियों की अपने काम की तरफ देखने की दृष्टि बदल कर, उनके लिए काम एक ‘अनिवार्य बोझ’ न रह कर ‘स्वेच्छा से चुना विकल्प’ बन सकता है। इससे सभी कर्मचारी, एक ही उद्देश्य रखने वाले कार्यसमूह के रूप में काम करेंगे। इसका सीधा प्रभाव बढ़ती उत्पादकता, संसाधनों की बर्बादी में कमी, अनुपस्थिति में कमी और अंत में कारखाने की उन्नत उत्पादनक्षमता में आसानी से प्रतिबिंबित हुआ दिखेगा। ऐसा परिवेश बनाने में अहम् घटक है कर्मचारियों की प्रशिक्षा। उन्हें उनके वर्तमान काम की गहरी तथा वैज्ञानिक जानकारी देने के साथ, बाजारों में उपलब्ध नवीनतम तकनीकों से परिचित कराना भी इसमेंसमाविष्ट है। ‘धातुकार्य’ द्वारा हम इसी उद्देश्य को पूरक ज्ञान एवं जानकारी देने का प्रयास करते हैं।
 
 
पिछले कुछ अंकों से हम, यत्रंणसंबंधि चुनिंदा प्रक्रियाओं पर लेख प्रकाशित कर रहे हैं। इस अकं में थ्रेडिंग से सबंधिंत प्रक्रियाएं ब्योरेवार दी गई हैं। थ्रेड वर्लिंग तथा थ्रेड ग्राइंडिंग जैसी, धातु काट कर चूड़ी बनाने वाली प्रक्रियाओंके साथ ही बड़ी मात्रा में उत्पादन करने हेतु उपयोगी थ्रेड रोलिंग प्रक्रिया की भी विस्तारपूर्वक जानकारी देने वाले लेख इस अंक में हैं। उद्योग क्षेत्र में हर रोज इस्तेमाल होने वाले फासनर का तकनीकी विवरण देने वाला लेख भी आपके काम आएगा। मापनसंबंधि घटनाएं प्रस्तुत करने वाली नई लेखमाला भी हमने इस अंक से शुरू की है, जो आपको यकीनन पसंद आएगी। साथ ही इंजीनीयरिंग ड्रॉइंग, वित्तीय नियोजन, सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग जैसी लेखमालाओंसे आप उपयक्तु जानकारी पाएंगे, यह हमें विश्वास है।
 
दीपक देवधर
deepak.deodhar@udyamprakashan.in
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