किफायती यंत्रण के लिए टर्नमिल सेंटर

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    29-अप्रैल-2021   
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मैंने और मेरे तीन दोस्त इम्तियाज मुजावर, अमोल गोंगाणे और प्रदीप पाटील ने 12 साल पहले इंजीनीयरिंग की पदवी प्राप्त करने के बाद मिल कर व्यवसाय करने का फैसला किया। हमने शुरुआत पारंपरिक लेथ मशीन से की और बदलते समय के साथ अन्य कई मशीन खरीद कर हम सी.एन.सी. मशीन तक पहुंचे। इस तरह से अपने लघु उद्योग का विस्तार करते हुए हमने सोचा कि हमारी ही तरह हमारे कई प्रतिस्पर्धी भी इसी तरीके से कारोबार कर रहे हैं। उनके और हमारे बीच कोई फर्क ही नहीं है। हमें महसूस हुआ कि अगर हमें बाजार में अपनी अलग पहचान बनानी हो, तो नई तकनीक इस्तेमाल कर के, नई चुनौतियों को स्वीकार कर के, अनेक मौके उपलब्ध हो सकते हैं। हमें अच्छी तरह से पता था कि हम उद्योग क्षेत्र में ऊंची उड़ान भर सकते हैं। इसी के चलते हमने अपना व्यवसाय शुरू रखते हुए बारीकी से पूरे सोच-विचार के साथ सर्वेक्षण करना
शुरू किया।
 
उस समय हमारे उद्योग में कुछ सी.एन.सी. टर्नमिल इस्तेमाल की जाती थी और सामान्यतः उन पर कास्ट आयरन, स्टील जैसी धातुओं से बने पुर्जों का यंत्रण होता था। इन धातुओं की कठोरता (हार्डनेस) लगभग 25-30 HRC होती थी। हमें कई लोगों ने वी.एम.सी. या एच.एम.सी. जैसी मशीनों में पूंजी लगाने का सुझाव दिया ताकि हमारे उद्योग में विविधता आ कर वह परिपूर्ण होगा। लेकिन इस प्रस्ताव से ना ही हम संतुष्ट थे और ना ही उससे हम प्रभावित होते थे। उसी दौरान स्टेनलेस स्टील या अैल्युमिनियम मिश्रधातु (अलॉइ) और लगभग 60-65 HRC कठोरता वाली अन्य धातुओं का यंत्रण करने की चुनौती, बाजारों की मांग के कारण हमारे सामने थी। साथ ही भविष्य में टाइटैनियम, इन्कोनेल जैसी कठोर धातुओं के पुर्जों का यंत्रण कर के किफायती व्यवसाय करने का आहवान भी हमारे सामने आने लगा। इसी लिए हमने तय किया कि हम अत्यंत आसानी से हार्ड पार्ट मशीनिंग करने वाली और नई तकनीक के इस्तेमाल से बनाई मल्टी अैक्सिस मशीन में पूंजी लगा कर व्यवसाय को आगे बढ़ाएंगे।
 
इसीलिए हम अलग-अलग मशीन टूल बनाने वाली कंपनियों से संपर्क स्थापित कर के उनके विभिन्न उत्पादों को परख रहे थे। उसी दौरान डी.एम.जी. मोरी ने बनाई कुछ मशीनें हमने देखी। असल में यह मशीन, उसी आकार की भारतीय बनावट की मशीन की तुलना में 30-40% महंगी थी। लेकिन जब हमने उनके टेक सेंटर के टीम के साथ मशीन की विशेषताओं पर चर्चा की, उसकी बारीकियां समझी तब हमें बहुत सारी बातें पता हुई, खास कर के 'वैल्यू फॉर मनी' की संकल्पना। हमारी ऐसी मानसिकता बन गई कि कीमत ज्यादा होने के बावजूद हमने यह मशीन खरीदी तो हमारे द्वारा किए गए काम पर ग्राहक भी हमें वैसा ही प्रीमियम देंगे। हम जान गए कि ऐसी मशीन से हम विशिष्ट यानि 'निश मार्केट' में काम कर सकते हैं, जहाँ हमें चुनौती देने वाला कोई नहीं होगा। जब हम ग्राहक के मन में यह विश्वास स्थापित कर देंगे कि कोई विशेष पुर्जा, एक विशेष मशीन पर ही ज्यादा सटीक और किफायती बनता है तब व्यवसाय का महत्वपूर्ण घटक होने वाला मुनाफा कमाने में मुश्किल नहीं होगी और इसीलिए हमने डी.एम.जी. मोरी का NLX2500Y/700 टर्नमिल सेंटर (चित्र क्र. 1) खरीदने का फैसला किया।

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लघु और मध्यम उद्यमियों की नजर से देखा जाए तो नई मशीन में पैसा लगाते समय एक और अहम् मुद्दा सामने आता है, मशीन के अच्छे कामकाज के लिए आवश्यक वातानुकूलित तथा नियंत्रित परिवेश के लिए होने वाला ज्यादा खर्चा। लेकिन इस मामले में हमें बहुत सुखद आश्चर्य हुआ जब डी.एम.जी. मोरी ने बताया कि इस मशीन को 50° सें. तापमान में इस्तेमाल करने पर भी सटीकता उतनी ही मिलेगी जितनी वातानुकूलित या नियंत्रित परिवेश में इस्तेमाल के वक्त मिलती है। इसकी तकनीकी वजह यह है कि मशीन बेड, स्पिंडल और टरेट को अंदर से ठंड़ा रखने (इंटर्नल कूलिंग) का इंतजाम किया गया है (चित्र क्र. 2, 3, 4) और यही वजह है कि पूरी मशीन अत्यंत स्थिर (स्टेबल) रहती है। इसी सुविधा के कारण यह मशीन पिछले एक साल से हमारे कारखाने में खुले में ही इस्तेमाल की जा रही है और उस पर लगातार सटीकता प्राप्त होती है।

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इस मशीन पर मिलने वाले 5 अक्ष, चित्र क्र. 2 में दिखाए गए हैं। इनमें से Y अक्ष, X1 और X2 इन दोनों अक्षों के मिश्र संचलन से प्राप्त होता है। इस Y अक्ष के कारण हम मशीन का सेंटर अैक्सिस शिफ्ट कर के काम कर सकते हैं और इसके कारण कई क्लिष्ट प्रोफाइल का यंत्रण भी आसानी से किया जा सकता है।

मशीन के Y अक्ष का संचालन कैसे होता है, यह जानने के लिए 
 
 
शुरू में हमें लगा था कि इस मशीन पर केवल टाइटैनियम या ऐसे अन्य हार्ड पार्ट का यंत्रण ही किफायती साबित होगा लेकिन जैसे ही हम मशीन पर काम करते गए, हमारा यह भ्रम दूर होता गया। पी.सी.डी. पर छिद्र होने वाले सादे पुर्जे का भी यंत्रण हम इस पर करते हैं। वहाँ भी इस मशीन पर काम करने पर आवर्तन काल (साइकिल टाइम) में और गुणवत्ता में बहुत बड़ा फर्क पड़ता है। क्योंकि उच्च पैरामीटर पर काम करने वाले टूलिंग के इस्तेमाल से आवर्तन काल कम किया जा सकता था, साथ ही सेटअप कम कर के बैच साइज और इन्वेंटरी भी कम की जा सकती है।
 
इस मशीन का नियंत्रक (कंट्रोलर) तो अत्यंत उन्नत प्रौद्योगिकी की एक मिसाल है। इसमें एक अतिरिक्त प्रोग्रैमिंग की सुविधा है, जिसके द्वारा आज हम मशीन से प्रश्न-उत्तर रूप में बातचीत कर के काम कर सकते हैं। पुर्जा काटते वक्त हम उसका सीधा प्रक्षेपण, 3D लाइव सिम्यूलेशन के स्वरूप में देख सकते हैं। इसमें सभी आदेशों (कमांड) का समावेश किया हुआ है। ऑपरेटर को G कोड, M कोड याद रखने की जरूरत नहीं होती, वह काम मशीन करती है। हमें केवल कोआर्डिनेट से संबंधित बात करनी होती है। 'टूल कहाँ से कहाँ जाएगा और कैसे जाएगा,' यानि टूल पाथ बताना इतना ही करना पड़ता है, बाकी सारा काम मशीन करती है।
 
गुणवत्ता के संदर्भ में कहे तो इस मशीन की विशेषता है कठोर पुर्जों के यंत्रण करने के बाद उन पर मिलने वाली गोलाई (राउंडनेस) और वृत्ताकारिता (सर्क्युलैरिटी)। इन मापदंड़ों पर मनचाही गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए मशीन की संरचना वैसी होनी चाहिए। इस मशीन का स्पिंडल और टरेट दोनों उतने ही मजबूत थे। उपर बताएनुसार उन्हें अंदर से शीतक की सुविधा प्रदान की गई थी। इस बारे में कंपनी ने दी हुई गारंटी, पिछले एक साल से हमारे उत्पादन में प्रतिबिंबित हो रही है।

मिसाल
उत्पादन की कीमत के मापदंड़ पर भी, पिछले एक साल में इस मशीन ने बहुत अच्छा काम दिया है। टर्निंग सेंटर और वी.एम.सी. पर एकसाथ यंत्रण करने पर कोई पुर्जा जितनी लागत में बनता है, वही इस मशीन पर हम लगभग 40% कम लागत में यकीनन बना सकते हैं। इसकी वजह है इस मशीन के स्पिंडल पर निर्माण होने वाली ज्यादा पॉवर या टॉर्क। इस विशेषता के कारण अत्यधिक उन्नत कटिंग टूल के इस्तेमाल से अधिक स्पीड तथा फीड के इस्तेमाल का मौका मिलता है और पुर्जे का आवर्तन काल काफी घटाया जा सकता है। हमारे कारखाने में बनाए जाने वाले पुर्जे की (चित्र क्र. 5) ऐसी ही एक मिसाल आगे दी गई है।

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ऑईल अैंड गैस उद्योग में इस्तेमाल होने वाला, स्टील का एक पुर्जा यंत्रण के लिए हमारे कारखाने में आया था। उसकी कठोरता 40 HRC थी। पहले हम इस पुर्जे को डी.एम.जी. मोरी के ही टर्नमिल पर सेंटर ड्रिलिंग, एक बोर और फिर थ्रेडिंग करते थे और उसके लिए हमें 278 सेकंड लगते थे। लेकिन, उसके बाद हम और अनुसंधान करते गए। कटिंग टूल में थोडा अभ्यास करने पर हमें चैंप ड्रिल का विकल्प प्राप्त हुआ। इस ड्रिल ने सेंटर ड्रिल, कोनिकल ड्रिल और बोरिंग टूल का काम एकसाथ किया (तालिका क्र. 1) और वह भी उच्च कटिंग पैरामीटर पर। इससे बोरिंग और थ्रेडिंग का मनचाहा स्तर प्राप्त हो कर उसका आवर्तन काल केवल 83 सेकंड रह गया। समय के इस अंतर का फायदा आज भी हमें मिलता है।

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हमारे कारखाने में इस टर्नमिल सेंटर की शुरुआत से अब तक जो पुर्जे हमने मशीन पर बनाए हैं, उनमें से कुछ प्रतिनिधिक पुर्जे, उनके मटीरियल और उन पर मिलने वाले पृष्ठीय फिनिश की वैल्यू को चित्र क्र. 6, 7, 8 में दिखाया गया है।
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सभी जानते हैं कि इस मशीन पर कठोर पुर्जों का यंत्रण करते समय पृष्ठीय फिनिश अच्छा मिलता है, लेकिन माइल्ड स्टील से कम कठोर यानि नरम (साफ्ट) पुर्जों पर अच्छा पृष्ठीय फिनिश लाना बेहद चुनौतिपूर्ण होता है। ऐसे ही एक पुर्जे का (चित्र क्र. 9) यंत्रण हमने इस मशीन पर किया और एक जर्मन उद्योग को इसकी आपूर्ति की। उसके मटीरीयल का स्पेसिफिकेशन S355J2 था और वह लो ग्रेड मटीरीयल था। उस पर हमने 0.3-0.4 Ra पृष्ठीय फिनिश प्राप्त किया। इससे पहले हमें यह पृष्ठीय फिनिश प्राप्त करने के लिए ग्राइंडिंग ऑपरेशन करना पड़ता था लेकिन ग्राइंडिंग करते समय साफ्ट मटीरीयल, ग्राइंडिंग वील से चिपकता था जिससे वह हमेशा लोड होता था। इसी लिए बार बार ड्रेसिंग करनी पड़ती थी, साथ ही पुर्जे को ग्राइंडिंग के लिए लाने तथा ले जाने से उस पर खरोंचे पड़ कर वह खराब भी होता था। अब ग्राइंडिंग से छुटकारा पाये जाने से हमारे सेटअप कम हो गए।
 
डी.एम.जी. मोरी ने 'सिलॉस' नाम का नियंत्रक, 'मित्सुबिशी' की सहायता से विकसित किया है। कोई भी प्रोग्रैम, चाहे वह कितना ही मुश्किल क्यों ना हो, 'सिलॉस' की मदद से केवल 10 मिनट में किया जा सकता है। लगभग एक घंटे से ज्यादा वक्त लेने वाले कुछ प्रोग्रैम भी, इस पर 10 मिनट में किए जा सकते हैं। इससे हमारे समय की काफी बचत हुई।
 
उसी प्रकार, नियंत्रक के पर्दे पर हूबहू चित्र (सिम्यूलेशन) दिखने के कारण मशीन में अगर टूल कहीं टकरा रहा हो, तो तुरंत चेतावनी मिलती है और दुर्घटना से बचाव होता है। इस हेतु आपको अलग साफ्टवेयर बिठाने की जरूरत नहीं पड़ती। यानि यह मशीन अैक्सिडेंटप्रूफ हो गई है।
 
जिस प्रकार मोबाइल में स्मार्ट फोन होता है उसी प्रकार इस मशीन को स्मार्ट मशीन कहा जा सकता है। मशीन पर काम करने वाले कर्मियों के लिए उपयुक्त अनेक अैप (अैप्लिकेशन) 'सिलॉस' नियंत्रक में लोड किए गए हैं। उनमें से कुछ मुख्य अैप चित्र क्र. 10 में दिखाएं हैं।

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ऐसा नहीं होता कि मशीन पर यंत्रण के लिए हर दिन एक ही प्रकार का मटीरीयल आएगा। विभिन्न मटीरीयल के यंत्रण के लिए कौनसे पैरामीटर इस्तेमाल किए जाए, इसका ज्ञान सबको नहीं होता। इसी लिए इस मशीन में एक लाइब्रेरी दी गई है। जिस मटीरीयल पर यंत्रण करना हो, लाइब्रेरी में जा कर उस मटीरीयल को चुनिए। उसके लिए कौनसा कटिंग टूल, कौनसा पैरामीटर इस्तेमाल किया जाए, इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी, रैक अैंगल के साथ, मशीन आपको देती है। इससे संबंधित सारी सिफारिशें, इस लाइब्रेरी अैप द्वारा मशीन आपको देती है। इसमें लगभग सभी मटीरीयल का (चित्र क्र. 11) समावेश है।
टूल का फोटो तथा ड्रॉइंग, मशीन में लोड कर सकते हैं। अगर आप किसी पुर्जे का बैच उत्पादन करते हो और 6 महीने बाद फिर से वही पुर्जा यंत्रण के लिए आया तो पहले कौनसे पैरामीटर इस्तेमाल किए थे, उसकी ड्रॉइंग, टूल ऑफसेट जैसी सारी जानकारी (डेटा) मशीन में 'सेव' की जाती है। इससे पुर्जे की सेटिंग करने में जाने वाला समय कम होता है।

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रखरखाव (मेंटेनन्स) के बारे में मशीन ही बताती है कि उस पर निरोधक रखरखाव (प्रिवेंटिव मेंटेनन्स) क्या करना है। साथ ही जरूरी रखरखाव के बारे में मशीन खुद ही वैसा संदेश देती है। अगर कोई मुद्दा बाकी रह जाए तो उसके बारे में भी सूचना दी जाती है, जैसे कि विजुअल जांच नहीं की गई हो। जब तक ऑपरेटर संबंधित काम कर के बटन नहीं दबाता तब तक मशीन संदेश देती रहती है।
 
कुछ अैप्लिकेशन के जरिए आप अनुसूची (शेड्यूल), योजना-तालिका (प्लैनर) बना सकते हैं। उसी के साथ मशीन ने आज कितनी बिजली इस्तेमाल की, मशीन का यूनिट कंजप्शन कैसा हो रहा है, मशीन में ब्रेकडाउन कितने हुए, मशीन का बिना काम का समय (आइडल टाइम) कितना था, रनिंग टाइम कितना था आदि सारी जानकारी पाइ चार्ट में देखी जा सकती है। इससे उद्यमी को सारी जानकारी ऑनलाइन मिलती है (चित्र क्र. 12) जैसे कि अपनी मशीन का इस्तेमाल कितना और कैसे हुआ, मशीन का OEE कितना है आदि।
 
दूसरी अत्यंत महत्वपूर्ण विशेषता है मशीन ने परिवेश में छोड़ा हुआ कार्बन (कार्बन एमिशन), जिसकी जानकारी आप ऑनलाइन देख सकते हैं। उसे आप प्रदूषणरोधी नियम के तहत दर्ज भी कर सकते हैं। अपने देश में अभी तक यह अनिवार्य नहीं हुआ है लेकिन अगले 5-10 सालों में इससे संबंधित अनेक नियम लागू किए जाएंगे। मशीन शॉप के लिए भी ऐसे ही अनिवार्य नियम आएंगे। मशीन में इससे संबंधित सारी सावधानियां पहले ही बरती गई हैं।
इंटरनेट एवं वाइ फाइ की सहायता से, मशीन डी.एम.जी. मोरी की सर्विस से सीधी जुड़ जाती है। इसमें इंडस्ट्री 4.0 को शामिल किया गया है। साफ्टवेयर में अगर कोई दोष हो, तो मशीन का नियंत्रक वहीं उनका समाधान करता है। इन सभी अैप की वजह से मशीन की देखरेख (सुपरविजन) का खर्चा भी कम होता है।
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